18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कुल मिलाकर न्यायपालिका में सबकुछ ठीक नहीं

मास्टर आॅफ रोस्टर मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला दरअसल उस पीआइएल को निरस्त करने के लिए नहीं था, जिसे लखनऊ के एक वकील ने दायर किया था, बल्कि यह जवाब था चार वरिष्ठ जजों द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन का. जवाब था जस्टिस चेलमेश्वर एवं जस्टिस कुरियन जोसफ द्वारा सीजेआइ को लिखे पत्रों का. सर्वोच्च […]

मास्टर आॅफ रोस्टर मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला दरअसल उस पीआइएल को निरस्त करने के लिए नहीं था, जिसे लखनऊ के एक वकील ने दायर किया था, बल्कि यह जवाब था चार वरिष्ठ जजों द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन का.
जवाब था जस्टिस चेलमेश्वर एवं जस्टिस कुरियन जोसफ द्वारा सीजेआइ को लिखे पत्रों का. सर्वोच्च अदालत में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. न्यायपालिका में कार्यपालिका का हस्तक्षेप स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है. जजों की नियुक्ति समय पर नहीं हो रही है. कॉलेजियम पद्धति के होते हुए सरकार उसकी सिफारिशों को नहीं मानती है. बार-बार सिफारिश होने पर उसके खिलाफ जांच बैठा दी जाती है.
कर्नाटक के सेशन जज पी कृष्णा भट्ट के बारे कॉलेजियम ने दो बार सिफारिश भेजी. बदले में सरकार ने जज भट्ट के खिलाफ ही जांच बैठा दी. जांच का जिम्मा दिया गया है कर्नाटक उच्च न्यायालय के जस्टिस दिनेश माहेश्वरी को. अदालत की साख एवं विश्वसनीयता इस समय दांव पर है.
जंग बहादुर सिंह, इमेल से

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें