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फिसलती जुबान को संभालें नेता

आजकल हमारे नेताओं की जुबान बहुत फिसल रही है और उन्हें पता ही नहीं चल रहा है कि वे क्या बोल रहे हैं. ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. जब-जब चुनाव आते हैं, तब-तब जुबान फिसलने के पिछले सारे रिकॉर्ड टूटते जाते हैं. मेरा सभी राजनीतिक दलों के माननीयों से सविनय निवेदन है कि […]

आजकल हमारे नेताओं की जुबान बहुत फिसल रही है और उन्हें पता ही नहीं चल रहा है कि वे क्या बोल रहे हैं. ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. जब-जब चुनाव आते हैं, तब-तब जुबान फिसलने के पिछले सारे रिकॉर्ड टूटते जाते हैं. मेरा सभी राजनीतिक दलों के माननीयों से सविनय निवेदन है कि जब भी बोलने के लिए वे अपना मुंह खोलें, तो संयम और शालीनता से बोलें.

इस तरह न सिर्फ वे शर्मिदा होने से बच जायेंगे, बल्कि इससे देश और लोकतंत्र का भी भला होगा. वोट पाने के लिए वे ऐसी अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं, लेकिन वे यह क्यों भूल जाते हैं कि जनता भी उनकी बोली सुन रही है और भला ऐसे व्यक्ति को वो क्यों अपना मत देना चाहेगी, जो दूसरों की इज्जत ही न करता हो. आलोचना स्वस्थ हो, तो समाज भी सुंदर बनता है, नेताओं को इसे सीखने की बहुत जरूरत है.

सुरेंद्र गोयल, ई-मेल से

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