मैं उन मांओं को सलाम करना चाहती हूं, जिन्होंने अपने बच्चों को बचपन से लेकर वयस्क होने तक अच्छे संस्कार दिये, सही राह पर चलने की बात बताती रहीं. जब तक मां के बताये सही मार्ग पर बच्चे चले, उनका नाम भी रोशन हुआ.
परंतु आज की तारीख में कुछ माताएं अपने ही पुत्रों द्वारा उपेक्षित हैं. उन्हें या तो अपने घर के किसी कोने में जगह दे दी गयी है या फिर वृद्धाश्रम में धकेल दिया गया है. एक समय था जब मां अपने बच्चों को पूरी दुनिया से परिचित करवाती है, लेकिन बाद में उसी मां को घर के किसी कोने में ही पूरी दुनिया देखनी पड़ती है. इतनी प्रताड़ित करने के बावजूद मां अपने बच्चों को कभी कोसती नहीं, बल्कि उसके मुख से हमेशा आशीर्वाद ही निकलता है.
आज के बच्चे बूढ़े माता-पिता को बेकार खिलौने की तरफ फेंक देते हैं. धन्य हैं वो मां, जिन्होंने विपरित परिस्थितियों में भी अपने बच्चों को पाला.
शैलबाला सिन्हा, गिरिडीह