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पानी का भी मुद्दा उठायें नेता

बुद्धिजीवियों का मानना है कि अगर तीसरा विश्व युद्ध हुआ, तो वह पानी के लिए होगा. बावजूद इसके पानी के बारे में हमारा और हमारे जनप्रतिनिधियों का क्या सोच है? अभी देश में लोक सभा के चुनाव होने वाले हैं और इस चुनाव में अधिक से अधिक वोट पाने के लिए सभी राजनैतिक दल चुनावी […]

बुद्धिजीवियों का मानना है कि अगर तीसरा विश्व युद्ध हुआ, तो वह पानी के लिए होगा. बावजूद इसके पानी के बारे में हमारा और हमारे जनप्रतिनिधियों का क्या सोच है? अभी देश में लोक सभा के चुनाव होने वाले हैं और इस चुनाव में अधिक से अधिक वोट पाने के लिए सभी राजनैतिक दल चुनावी घोषणा पत्र जारी कर अपना विजन आम जनता के बीच ले जा रहे हैं और बता रहे हैं कि यदि मेरी जीत होती है तो मै ये करूंगा.

घोषणा पत्रों की यदि गंभीरता से पड़ताल की जाये तो इन घोषणा पत्रों से पानी गायब है. प्रकृति से हमें प्रचुर मात्र में उपलब्ध पानी गलत प्रबंधन की वजह से बर्बाद हो जाता है. हमें हर साल प्रकृति हमें जितना पानी देती है, अगर उसका 15 से 20 प्रतिशत भी रोकने और उस पानी को सूखे खेतों तक पहुंचाने की इंतजाम हो जाये तो हमारे देश के गरीबों का भला हो जायेगा और किसानों की आत्म हत्या में भी काफी कमी आयेगी और पैदावार भी बढ़ेगी. जब पैदावार बढ़ेगी तो गरीबी घटेगी भूख से हो रही मौतों में भी कमी आयेगी. फिर भी ये सियासी पार्टियां पानी के सवाल पर जानें क्यों बेखबर हैं.

विकास की इस अंधी दौड़ में पानी का दोहन का प्रचलन काफी तेजी से विकसित हुआ है. जो जितना धनवान है उसे उतना अधिक जमीन का सीना वेध कर पानी लुटने की छुट है. महंगाई, भ्रष्टाचार, कला धन और महिला आरक्षण आदि सवालों पर कई दिनों तक संसद ठप करने वाले आखिर पानी की लूट को रोकने, प्रकृति प्रदत्त पानी को रोकने के लिए सही प्रबंधन जैसे सवालों को क्यों नहीं उठाते? क्या ये पानी के महत्व को नहीं समझते? दिन-प्रतिदिन भूगर्भ जल का स्तर घटता जा रहा है, पेड़ों की कटाई अंधाधुंध जारी है. इसके बावजूद पानी पर हमारे नेताओं की खामोशी देश के लिए घातक है.

गणोश सीटू, हजारीबाग

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