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चिट्ठियों की कीमत

शफक महजबीन टिप्पणीकार कुछ ही दिनों पहले एक खबर अखबारों में छपी थी कि एक डाकिया दो बोरी चिट्ठियां कबाड़ी को बेच रहा था. यह घटना बनारस की है, जिसे पढ़ कर लोगों को सरकारी कर्मचारियों पर से भरोसा उठ सकता है. इस घटना की जानकारी मिलते ही कैंट पुलिस ने आरोपी डाकिया को पकड़ […]

शफक महजबीन

टिप्पणीकार

कुछ ही दिनों पहले एक खबर अखबारों में छपी थी कि एक डाकिया दो बोरी चिट्ठियां कबाड़ी को बेच रहा था. यह घटना बनारस की है, जिसे पढ़ कर लोगों को सरकारी कर्मचारियों पर से भरोसा उठ सकता है.

इस घटना की जानकारी मिलते ही कैंट पुलिस ने आरोपी डाकिया को पकड़ लिया. हालांकि, डाकिया ने कहा कि उसे फंसाया जा रहा है. गौरतलब है कि उन दो बोरियों से एक आधार कार्ड, एक राखी, कुछ पत्रिकाओं सहित 300 के करीब चिट्ठियां बरामद हुई थीं.

खबर की मानें, तो उस डाकिया के लिए वे चिट्ठियां महज कूड़ा थीं और उन्हें रद्दी के भाव बेच कर उसे सिर्फ चंद रुपये ही हासिल होने थे. लेकिन, अगर इस खबर की गहराई में जायें, तो उसकी ऐसी लापरवाही और लालच से आम जनता का बड़ा नुकसान हो सकता है. लोग तो इस इंतजार में होते हैं कि उनके जरूरी कागजात और संदेश उन तक सुरक्षित पहुंच जायेंगे. लेकिन, लोगों को पता भी नहीं चलता और उनके महत्वपूर्ण कागजात- जैसे बैंक पेपर, कॉल लेटर, बिल आदि उन तक पहुंचने के बजाय ऐसे ही किसी कबाड़ी के पास पहुंच जाते होंगे, जिसकी नजर में इन कागजातों की कोई कीमत ही नहीं है.

छह-सात महीने पहले मेरे मुहल्ले की एक लड़की ने एक सरकारी नौकरी के लिए आवेदन किया था. उसकी परीक्षा भी हो गयी थी और वह इस इंतजार में थी कि उसे साक्षात्कार के लिए बुलावा आयेगा. कई महीने बीतने के बाद जब बुलावा नहीं आया, तो उसने उस महकमे में जाकर पता करना चाहा.

वहां उसे बताया गया कि कॉल लेटर तो आपको भेजा गया था, लेकिन आप ही उपस्थित नहीं हो पायीं. इस वाकये से मुझे डाकिये वाली खबर सच लगने लगी. हो सकता है कि उस लड़की को महकमे द्वारा भेजा गया वह कॉल लेटर इसी तरह किसी कबाड़ी के दुकान में पहुंच गया हो. इस तरह से किसी की लापरवाही या लालच से वह लड़की नौकरी पाने से वंचित रह गयी. आज जिंदगी में नौकरी की कितनी अहमियत है, इस बात पर गौर करते हैं, तो यह छोटी सी घटना बहुत भयावह लगने लगती है.

लिफाफों में बंद होकर लोगों तक पहुंचनेवाले कुछ कागजात उनकी जिंदगी के लिए बहुत अहम होते हैं. यह कितनी शर्म और दुख की बात है कि किसी एक की छोटी सी गलती के चलते काेई लड़की या लड़का नौकरी पाने से महरूम हो जाये.

देश को पूरी तरह से डिजिटल होने में अभी वक्त लगेगा. लेकिन, जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक सरकार को चाहिए कि ऐसी घटनाओं का संज्ञान लेकर लापरवाह कर्मचारियों पर कार्रवाई करे, ताकि निकट भविष्य में किसी का भविष्य न प्रभावित होने पाये.

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