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गैस कीमत पर आयोग का दखल

भरत झुनझुनवाला अर्थशास्‍त्री रिलायंस ने बांग्लादेश से अगले 17 वर्षो तक 2.3 डॉलर प्रति यूनिट के दाम पर गैस सप्लाई करने का अनुबंध कर रखा है. इससे प्रमाणित होता है कि गैस निकालने का दाम इससे कम होगा. फिर भी रंगराजन ने इसे 8.4 डॉलर करने की संस्तुति की है. केंद्र सरकार ने कुछ समय […]

भरत झुनझुनवाला

अर्थशास्‍त्री

रिलायंस ने बांग्लादेश से अगले 17 वर्षो तक 2.3 डॉलर प्रति यूनिट के दाम पर गैस सप्लाई करने का अनुबंध कर रखा है. इससे प्रमाणित होता है कि गैस निकालने का दाम इससे कम होगा. फिर भी रंगराजन ने इसे 8.4 डॉलर करने की संस्तुति की है.

केंद्र सरकार ने कुछ समय पूर्व नेचुरल गैस के दाम में वृद्धि करने का निर्णय किया था. यह मूल्य वृद्धि एक अप्रैल से लागू होनी थी. सरकार ने इसे चुनाव आयोग की सहमति के लिए भेजा था. आयोग ने निर्णय दिया कि वर्तमान समय में मूल्य वृद्धि स्थगित की जानी चाहिए. इस पर निर्णय नयी सरकार द्वारा लिया जाना उचित होगा. ज्ञात हो कि नेचुरल गैस का उपयोग विशेषकर बिजली बनाने के लिए किया जाता है. गैस के दाम में वृद्धि का सीधा असर बिजली के दाम पर पड़ेगा. दूसरी तरफ उत्पादकों को लाभ मिलेगा. देश में गैस के दो उत्पादक हैं. सार्वजनिक क्षेत्र में ओएनजीसी द्वारा लगभग 70 फीसदी का उत्पादन किया जाता है व निजी क्षेत्र में रिलायंस इंडस्ट्री द्वारा शेष 30 फीसदी का.

केंद्र सरकार और रिलायंस का कहना है कि वर्तमान 4.2 डॉलर प्रति (मिलियन मीट्रिक ब्रिटिश थर्मल) यूनिट का दाम अपर्याप्त है. केंद्र सरकार द्वारा गठित रंगराजन कमेटी ने इसे बढ़ा कर 8.4 डॉलर करने की संस्तुति की है. विषय देश के प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण का है. मान लीजिए गांव में दो कुएं हैं. जमीन के नीचे पड़े पानी पर अधिकार किसका है? यदि अधिकार मालिक का है, तो उसके द्वारा मनचाहा मूल्य वसूल करना जायज होगा, जैसे अपने घर में बनायी कालीन को जुलाहा मनचाहे मूल्य पर बेचने को स्वतंत्र होता है. उस परिस्थिति में 1,000 रुपये के टैंकर में पूरा 1,000 रुपये कुएं के मालिक को मिलना चाहिए.

इसके विपरीत, यदि भूमिगत पानी पर अधिकार जनता का है, तो कुएं के मालिक को केवल पानी निकालने के खर्च तथा उस पर मुनासिब दर से लाभांश वसूलने का अधिकार होता है. कुएं से पानी निकालने का खर्च 170 रुपये हो, तो लाभांश जोड़ कर 200 रुपये कुएं के मालिक को मिलना चाहिए. शेष 800 रुपये भूमिगत पानी का मूल्य हुआ. ग्राम पंचायत के लिए उचित होगा कि इतना टैक्स वसूल करे. ऐसी ही स्थिति नेचुरल गैस की है. गैस देशवासियों का सामलाती संसाधन है. इसे निकालने वाली कंपनियों को इसे निकालने का खर्च मात्र मिलना चाहिए. परंतु सरकार ने इन्हें गैस का पूरा मूल्य वसूलने का अधिकार दे दिया है.

वर्तमान विवाद है कि नेचुरल गैस के दाम में वृद्धि की जाये या नहीं अर्थात उत्पादकों को ऊंचे मूल्य वसूल करने दिये जायें या नहीं? पांच वर्ष पूर्व तक गैस के दाम 2.3 डॉलर प्रति यूनिट थे. तब सरकार ने दाम 4.2 डॉलर निर्धारित किये थे. अब प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार सी रंगराजन ने 8.4 डॉलर का दाम सुझाया है. वर्तमान विवाद इस मूल्यवृद्धि को लेकर है. रिलायंस ने बांग्लादेश से अगले 17 वर्षो तक 2.3 डॉलर प्रति यूनिट के दाम पर गैस सप्लाई करने का अनुबंध कर रखा है. इससे प्रमाणित होता है कि गैस निकालने का दाम इससे कम ही होगा. फिर भी रंगराजन ने इसे 8.4 डॉलर पर बढ़ाने की संस्तुति की है.

रंगराजन द्वारा 8.4 डॉलर का मूल्य निर्धारण दो आधार पर किया गया. पहला आधार उत्पादन लागत थी. कहा गया कि भारत द्वारा आयातित गैस के विदेशों में उत्पादन में जो लागत आती है, उसकी गणना की जाये. दूसरा आधार था कि प्राकृतिक गैस का अमेरिका, इंगलैंड और जापान में जो औसत मूल्य हो, उसकी गणना की जाये. इनके औसत के आधार पर भारत में गैस की कीमत निर्धारित की जाये. इस आधार पर 8.4 डॉलर की गणना की गयी.

मेरी समझ से रंगराजन फामरूले में खामियां हैं. पहली खामी उत्पादन लागत की गणना की है. उत्पादन कंपनियों के लिए फर्जी बिल लगा कर लागत बढ़ा कर बताना सामान्य बात है. जरूरी था कि स्वतंत्र ऑडिटर द्वारा बतायी गयी लागत को लिया जाता. भारत में उत्पादन लागत दूसरे देशों की तुलना में कम होनी चाहिए, क्योंकि यहां वेतन कम हैं. दूसरी खामी विश्व बाजार में मूल्य की गणना में है. 28 फरवरी, 2014 को अमेरिकी बाजार में नेचुरल गैस का दाम 4.6 डॉलर, इंगलैंड में 6.6 डॉलर तथा जापान में 10.9 डॉलर प्रति यूनिट था. अमेरिकी मूल्य स्वीकार्य है, क्योंकि यह अकेला विश्व में गैस का विकसित बाजार है, जहां अनेक सप्लायर व खरीदार हैं.

इंगलैंड का मूल्य आधा स्वीकार्य है, क्योंकि यह बाजार अभी अर्धविकसित है. परंतु जापान का मूल्य पूरी तरह अमान्य है, क्योंकि जापान में गैस का उत्पादन लगभग शून्य है. उत्पादन न करनेवाले देश के ऊंचे मूल्य को शामिल करना अनुचित है. इन दोनों खामियों को दूर कर दिया जाये, तो मेरा अनुमान है कि रंगराजन के फार्मूले के अनुसार दाम लगभग 5 डॉलर आयेगा. रंगराजन के विकृत फामरूले के आधार पर 8.4 डॉलर का मूल्य निर्धारित करना अनुचित है.

गैस के दाम में वृद्धि का जनता तथा उत्पादक कंपनियों, दोनों पर प्रभाव पड़ेगा. मेरी समझ से चुनाव आयोग द्वारा ऐसा दखल उचित है, क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए, जो देश की दिशा पर दूरगामी प्रभाव डाले. यह प्रभाव वोटर पर हो अथवा कंपनी पर, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है.

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