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डाटा स्टोरेज क्षमता में बेशुमार बढ़ोतरी से आइटी सेक्टर में क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीद!

जापान के सुकुबा में हाल ही में आयोजित 28वें मैग्नेटिक रिकॉर्डिंग कॉन्फ्रेंस में आइबीएम ने घोषणा की है कि सोनी स्टोरेज मीडिया साेल्युशंस के साथ मिल कर उसने एक ऐसे मैग्नेटिक टेप कारट्रेज का ईजाद किया है, जो करीब 330 टीबी यानी टेराबाइट तक डाटा स्टोरेज में सक्षम होगा. टेप स्टोरेज के लिहाज से यह […]

जापान के सुकुबा में हाल ही में आयोजित 28वें मैग्नेटिक रिकॉर्डिंग कॉन्फ्रेंस में आइबीएम ने घोषणा की है कि सोनी स्टोरेज मीडिया साेल्युशंस के साथ मिल कर उसने एक ऐसे मैग्नेटिक टेप कारट्रेज का ईजाद किया है, जो करीब 330 टीबी यानी टेराबाइट तक डाटा स्टोरेज में सक्षम होगा.

टेप स्टोरेज के लिहाज से यह एक नया विश्व रिकॉर्ड भी होगा, और संभवत: आइबीएम के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि होगी. यह नया इनोवेशन ऐसे कारोबारों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा, जिनमें व्यापक तादाद में डाटा स्टोरेज की जरूरत होती है. मौजूदा सूचना युग में बिग डाटा के विस्फोट को हकीकत में तब्दील करने में इसका बड़ा योगदान होगा.

क्लाउड टेक

डाटा स्टोरेज की प्रक्रिया अब तक लंबा सफर तय कर चुकी है. 1950 के दशक में डाटा स्टोर करनेवाली मैग्नेटिक टेप यूनिट का आकार रेफ्रिजरेटर की तरह था, और उसमें भी आज के मुकाबले बहुत ही कम आंकड़े रखे जा सकते थे. इसके बाद पर्सनल कंप्यूटर के युग में उपभोक्ता फाइलों को सवा पांच इंच वाले फ्लॉपी डिस्क में रखते थे.

उसकी बाद सीडी और यूएसबी ड्राइव ने स्टोरेज क्षमता को काफी हद तक बढ़ा दिया. आइबीएम अब एक नेक्स्ट-जेनरेशन मैग्नेटिक टैप को विकसित कर रहा है, जो 330 टीबी यानी टेराबाइट डाटा को स्टोर करने में सक्षम होगा. यह इस पूरे परिदृश्य में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है. कैसे होगा यह सब, बता रहा है आज का इन्फो टेक पेज …

बढ़ जायेगी 20 गुना ज्यादा क्षमता

नये विकसित किये जा रहे 330 टीबी टेप की क्षमता मौजूदा टेप के मुकाबले करीब 20 गुना ज्यादा होगी. इतना ही नहीं, आकार में यह मौजूदा टेप से आधा ही होगा. इस कारट्रेज में 330 मिलियन किताबों को संग्रहित किया जा सकता है और ये सभी काॅम्पेक्ट यूनिट के रूप में होंगे, जो आपकी हथेली पर पूरी तरह से फिट होंगे. ‘आर्स टेकनिका’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसके प्रत्येक वर्ग इंच में 201 गीगाबाइट्स तक स्टोरेज की क्षमता है. ‘स्पटर डिस्पोजिशन’ नामक खास तरीके के इस्तेमाल से इसके स्टोरेज के घनत्व को बढ़ाया जा सकता है.

रीड-राइट प्रोसेस

मैग्नेटिक टेप स्टोरेज की प्रक्रिया रीड-राइट की प्रक्रिया के साथ एक्युरेट सिग्नल प्रोसेसिंग पर आधारित है. इसके पूरे कारट्रेज में प्रवाह के लिए लुब्रिकेंट का इस्तेमाल किया गया है. घर्षण और हवा के प्रतिरोध को रोकने के लिए इस 330 टीबी कारट्रेज में एक फ्रिक्शन का इस्तेमाल किया गया है.

प्रतिरोध के कारण आमतौर पर रिकॉर्डिंग और प्लेबैक में दिक्कत होती है. आइबीएम रिसर्च ने एक नया 48 एनएम-चौड़ा टनलिंग मैग्नेटो-रेसिस्टिव हेड विकसित किया है, जो कारट्रेज के जरिये टेप को गाइड करता है, और सिग्नल प्रोसेसिंग अलगोरिदम को अंजाम देता है, ताकि उसे बेहतर तरीके से पढ़ा जा सके और आंकड़े निकाले जा सकें.

एंटरप्राइज स्टोरेज के लिए नया भविष्य

हालांकि, इस नये टेप कारट्रेज के बाजार में आने की तिथि की घोषणा नहीं की गयी है, लेकिन लागत कम होने के कारण उम्मीद की जा रही है कि डाटा स्टोरेज मार्केट को यह व्यापक तरीके से प्रभावित करेगा. अनेक गंभीर हालातों से निबटने के लिए विविध कारोबार में इसका व्यापक इस्तेमाल किया जायेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि यह नयी मैग्नेटिक टेप कारट्रेज एंटरप्राइज डाटा स्टोरेज स्पेस में पिछले 60 सालों से चले आ रहे तरीके में एक नया इनाेवेश लाने में सक्षम होगा.

डाटा स्टोरेज के लिए मैग्नेटिक टेप की कारोबारी वैल्यू

हालांकि, मौजूदा समय में डाटा स्टोरेज के लिए विविध प्रकार के विकल्प उपलब्ध हैं, फिर भी चुंबकीय टेप स्टोरेज सर्वाधिक लोकप्रिय समाधानों में से एक है. पारंपरिक रूप से वीडियो को संग्रहित करने, बैक-अप फाइल तैयार करने व कारोबार की निरंतरता के लिए खास बैक-अप बना सकते हैं.

क्लाउड कंप्यूटिंग के जरिये चुंबकीय टेप को अब क्लाउड में स्टोर किया जा रहा है. जानकारों का मानना है कि स्टोरेज क्षमता की व्यापकता को देखते हुए इसकी कीमत कम होने के कारण लोगों के लिए यह अनुकूलित होगा. इस प्रकार, क्लाउड में नयी डाटा स्टोरेज टेक्नोलॉजी आसानी से संचालित हो सकती है.

सोशल मीडिया साइट्स के जरिये लोगों के आंकड़े लीक होने और उन्हें कंपनियों द्वारा अपने हितों के अनुरूप इस्तेमाल में लाये जाने की खबरों के बीच शोधकर्ताओं ने अब इसके लिए फोटो का इस्तेमाल शुरू किया है.

‘टेक वायर एशिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हांगकांग की एक साइंस एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने उपभोक्ताओं के व्यवहार का अंदाजा लगाने के लिए सोशल मीडिया पर उनके फोटो का विश्लेषण किया है. ग्राहकों के लिए संवेदी आंकड़ों तक पहुंचे बिना उन्होंने एक नयी तकनीक के जरिये इसे अंजाम दिया है. शोधकर्ताओं का कहना है कि किसी भी अन्य तकनीक के मुकाबले इस तकनीक के जरिये ग्राहकों के व्यवहार का 60 फीसदी ज्यादा सटीक रूप से अनुमान लगाया जा सकेगा.

फिलहाल खानपान और लाइफस्टाइल एप्स में इस तकनीक को लागू किया गया है. ‘साउथ चाइना मोर्निंग पोस्ट’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भविष्य में शोधकर्ता उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य और चीजों के खरीदने के पैटर्न को समझते हुए इस तरह का अंदाजा लगाने में सक्षम होंगे. इसके लिए सोशल मीडिया साइट्स पर रोजाना बड़ी संख्या में अपलोड किये गये फोटो का इस्तेमाल करते हुए बिग डाटा और इमेज रिकॉग्निशन जैसी तकनीकों के जरिये इसे अंजाम दिया जायेगा.

शोधकर्ताओं ने यूनिवर्सिटी की सोशल मीडिया लैब में उपलब्ध तकनीक के आधार पर एक करोड़ से भी ज्यादा फोटो का विश्लेषण किया, जिन्हें दुनिया के 150 देशों में सोशल मीडिया साइट्स पर साझा किया गया था. सोशल मीडिया लैब के प्रमुख शोधकर्ता चेंग पक-मिंग का कहना है कि सोशल मीडिया पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध फोटो के इस्तेमाल से इस सॉफ्टवेयर के जरिये 80 फीसदी तक सटीक अंदाजा लगाने में कामयाबी मिली है.

उन्होंने यह भी कहा कि किसी खास यूजर की 100 फोटो हासिल होने पर उसके बारे में सटीक अनुमान लगाना मुमकिन हो पायेगा.

इन फोटो की प्राइवेसी इस बात पर निर्भर करेगी कि उसे कैसे एकत्रित किया गया था. चूंकि फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल मीडिया साइट्स पर फोटो अपलोड सार्वजनिक रूप से की जाती है, लिहाजा पब्लिक डोमेन से इसे आसानी से लिया जा सकता है. लेकिन, निजी तौर पर जानकारी जुटाने के क्रम में यह इस बात पर निर्भर होगा कि एप्स कैसे आंकड़े जुटाता है. यदि आपने संबंधित एप्स को इसकी मंजूरी नहीं दी है, तो वह आपके फोटो नहीं लेगा.

गुजरा जमाना

मौजूदा डिजिटल युग में पार्टियों में आप भले ही डीजे पर थिरकते हों, लेकिन एक जमाने में इसकी जगह टेप रिकॉर्डर हुआ करता था. करीब सात दशक पहले 1935 में पहली बार जर्मनी में इसे बनाया गया. इसमें प्लास्टिक की टेप थी, जिस पर आयरन पाउडर की परत जमायी गयी थी. हालांकि, शुरुआती रिकॉर्डिंग में एक तकनीकी दिक्कत यह थी कि इसमें शोर बहुत होता था, लेकिन निर्माता कंपनियों को उम्मीद थी कि इसे सुधारा जा सकता है.

जैसे रिकॉर्डिंग को काटा जाना या अलग करना. जल्द ही ऐसा भी मुमकिन हो गया. लंदन सिंफनी ऑर्केस्ट्रा की रिकॉर्डिंग के साथ मैग्नेटिक टेप के इस्तेमाल वाला पहला कॉन्सर्ट 1936 में लुडविग्सहाफेन में हुआ. कुछ समय बाद इसकी जगह मैग्नेटिक टेप का इस्तेमाल शुरू हुआ.

आरंभ में यह बिजली से चलता था, जबकि बाद में बैटरी चालित भी बनाया गया. इस कारण इसे कहीं भी ले जाना आसान हो गया. टेप रिकॉर्डर पर जरूरी मीटिंग, भाव तोल और बातचीत को रिकॉर्ड कर लिया जाता था. अदालतों में भी अहम सबूत के तौर पर टेप रिकॉर्डिंग का इस्तेमाल होने लगा. जल्द ही डिजिटल रिकॉर्डिंग ने टेप रिकॉर्डिंग मशीन को बहुत पीछे छोड़ दिया. और उसके बाद सीडी और एमपी3 ने डिजिटल ऑडियो टेप को बाहर का रास्ता दिखा दिया. टेप रिकॉर्डर अब इतिहास का हिस्सा बन गये हैं.

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