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अलगाववादियों पर शिकंजा

कश्मीर घाटी में आतंकवाद और अलगाववाद की आग जला कर अपने निहित स्वार्थों की रोटी सेंकते अलगाववादी नेताओं पर सरकार ने लगाम लगाने का निश्चय कर लिया है. शनिवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने घाटी में 18 स्थानों के अलावा दिल्ली और आसपास के इलाके में आठ स्थानों पर छापा मारा. इस कार्रवाई में बड़ी […]

कश्मीर घाटी में आतंकवाद और अलगाववाद की आग जला कर अपने निहित स्वार्थों की रोटी सेंकते अलगाववादी नेताओं पर सरकार ने लगाम लगाने का निश्चय कर लिया है. शनिवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने घाटी में 18 स्थानों के अलावा दिल्ली और आसपास के इलाके में आठ स्थानों पर छापा मारा. इस कार्रवाई में बड़ी मात्रा में नकदी के अलावा पैसे के लेन-देन और सीमा पार से सांठगाठ के दस्तावेज मिले हैं. हालांकि यह किसी से छुपा नहीं है कि पाकिस्तान कश्मीर समेत भारत के अलग-अलग हिस्सों में हिंसा और तनाव भड़काने की नीति पर चल रहा है.
वह कश्मीर में न सिर्फ प्रशिक्षित आतंकियों की घुसपैठ कराता है, बल्कि आम कश्मीरियों को बरगला कर या धन का लालच देकर हिंसा की राह पर धकेलता भी है. इस छापे से पहले केंद्रीय अधिकारी विभिन्न अलगाववादी नेताओं से पूछताछ कर चुके हैं. इसी बीच जम्मू-कश्मीर के उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने अलगाववादी नेताओं को सही राह अपनाने की सलाह भी दी है. उम्मीद है कि जांच एजेंसियां ठोस सबूतों और व्यापक खोजबीन के आधार पर दोषी अलगाववादी नेताओं को अदालत तक लाने में सफल होंगी. मुकदमा तो दर्ज हो ही चुका है.
इन सबूतों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने भी पेश किया जाना चाहिए. साथ ही, यह भी ध्यान रखना होगा कि इन कार्रवाइयों का बहाना बना कर अलगाववादी नेता अपने लिए सहानुभूति पैदा करने की कोशिश न करें. पिछले साल हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर में जो तनाव और हिंसा का सिलसिला शुरू हुआ था, वह कमोबेश आज भी जारी है.
ऐसे में सरकार अलगाववादियों पर नकेल जरूर कसे, पर इस पर ध्यान दे कि जब तक आम कश्मीरियों में भरोसे की भावना पैदा नहीं की जायेगी, तब तक अमन-चैन बहाल कर पाना बहुत मुश्किल होगा. यदि सरकार अलगावादियों के खतरनाक मंसूबों और बेईमानी की सच्चाई जनता को बता सकी, तभी उन्हें वैसे तत्वों से दूर किया जा सकता है.
आतंकवाद के विरुद्ध कड़ा रूख बनाये रखने तथा अलगाववादियों की गैर-कानूनी गतिविधियों पर लगाम लगाने जैसी बेहद जरूरी प्राथमिकताओं के साथ-साथ घाटी के विभिन्न तबकों और संगठनों से संवाद बनाने की कोशिश भी होनी चाहिए. आशा है कि सरकार हरसंभव तरीके अपना कर घाटी में स्थायी शांति स्थापित कर सकेगी और इस प्रयास में उसे अन्य राजनीतिक दलों और सिविल सोसाइटी के संगठनों का भी समुचित सहयोग प्राप्त होगा.
Prabhat Khabar Digital Desk
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