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झारखंड महिला क्रिकेट: सुविधा मिले तो यहां से भी निकलेंगी मिताली-हरमन

रांची : भले ही भारतीय महिला क्रिकेट टीम विश्व चैंपियन नहीं बन पायी, लेकिन फाइनल तक पहुंच कर अपनी ताकत का अहसास करा दिया. झारखंड की बेटियाें काे अगर पर्याप्त सुविधा, बेहतर माहाैल-पारिवारिक सहयाेग और इंफ्रास्ट्रक्चर मिले ताे वे भी मिताली राज, हरमनप्रीत काैर बन सकती हैं आैर देश का नाम राैशन कर सकती हैं. […]

रांची : भले ही भारतीय महिला क्रिकेट टीम विश्व चैंपियन नहीं बन पायी, लेकिन फाइनल तक पहुंच कर अपनी ताकत का अहसास करा दिया. झारखंड की बेटियाें काे अगर पर्याप्त सुविधा, बेहतर माहाैल-पारिवारिक सहयाेग और इंफ्रास्ट्रक्चर मिले ताे वे भी मिताली राज, हरमनप्रीत काैर बन सकती हैं आैर देश का नाम राैशन कर सकती हैं. स्थिति यह है कि झारखंड के 24 जिलाें में से सिर्फ आठ में महिला क्रिकेट का आयाेजन हाेता है.

अन्य 16 जिलाें में भी प्रतिभाएं भरी पड़ी हैं, लेकिन उन्हें आगे लाने के लिए काेई आयाेजन नहीं हाेता. इतने अभाव के बावजूद इसी झारखंड के हजारीबाग से शुभलक्ष्मी शर्मा जैसी खिलाड़ी निकली, जाे तेज गेंदबाज के नाते टीम इंडिया का सदस्य बनी. अभी रेलवे से खेल रही हैं. झारखंड में महिला क्रिकेट का इतिहास लगभग 32 साल पुराना है. 1985-86 में अविभाजित बिहार के समय यहां महिला क्रिकेट की शुरुआत हुई थी. तब क्रिकेट कोच चंचल भट्टाचार्य और जयकुमार सिन्हा ने रांची महिला कॉलेज में महिलाओं के लिए क्रिकेट की कोचिंग शुरू की थी. 32 साल बीत गये, लेकिन झारखंड में महिला क्रिकेट बहुत आगे नहीं बढ़ सकी. बाद में रांची कॉलेज का यह सेंटर भी बंद हो गया. यही कारण है कि यहां महिला क्रिकेट की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है.

झारखंड की महिला चयन समिति के संयोजक असीम कुमार सिंह बताते हैं, बार-बार कहने के बावजूद 16 अन्य जिला महिला क्रिकेट शुरू करने में काेई रुचि नहीं दिखाता. वे कहते हैं- झारखंड की महिला क्रिकेटरों की फिजिकल फिटनेस बहुत अच्छी है, लेकिन संसाधन और एक्सपोजर की कमी के कारण ये आगे नहीं बढ़ पाती हैं. इसके अलावा यहां महिला क्रिकेटरों के लिए टूर्नामेंट भी पुरुषों के मुकाबले काफी कम होते हैं. स्टेट लेवल पर पुरुषों के लिए यहां छह-सात टूर्नामेंट होते हैं. वहीं महिलाओं के लिए सिर्फ दो (सीनियर और अंडर-19) टूर्नामेंट. ऐसे में कैसे प्रतिभाएं निकलेंगी.
नियमित कैंप की कमी : राज्य में महिला क्रिकेटरों के लिए नियमित कैंप नहीं लगते हैं, जबकि पुरुष क्रिकेटरों के लिए कई कैंपाें का आयोजन होता है. यहां पुरुषों के लिए स्कूल, कॉलेज और जिला स्तर तक कई टूर्नामेंट खेले जाते हैं, जबकि महिलाओं के लिए सिर्फ जिला स्तर पर एक ही टूर्नामेंट, वह भी सिर्फ रांची में होता है.
महिलाओं के लिए कोई अकादमी नहीं
राज्य के जिन आठ जिलों में महिला क्रिकेट होते हैं, उनमें से कहीं भी इनके लिए कोई अकादमी या कोचिंग सेंटर नहीं है. अधिकतर महिला क्रिकेट खिलाड़ी छोटे-छोटे क्लबों में बच्चों के साथ अभ्यास करती हैं. कोचिंग के लिए भी इन खिलाड़ियों को भटकना पड़ता है.
नहीं है आधारभूत संरचना
झारखंड में महिला क्रिकेटरों के लिए अलग से कोई आधारभूत संरचना नहीं है. रांची में जेएससीए अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम है, लेकिन यहां सिर्फ स्टेट लेवल के मैचों के लिए ही महिला क्रिकेटरों को प्रवेश मिल पाता है. रांची के अलावा जमशेदपुर में टाटा स्टील, बोकारो, चाईबासा में इनके खेलने के लिए थोड़ी सुविधा उपलब्ध है. खबर है कि बोकारो में दो और मैदान जल्दी ही महिला क्रिकेटरों को उपलब्ध होंगे. इसके लिए सरकार से बातचीत चल रही है.
जिला व राज्य संघ के पास कोई योजना नहीं
महिला क्रिकेटरों के लिए जिला और राज्य संघ के पास कोई योजना नहीं है. राज्य में महिला क्रिकेट कैसे बढ़े, इस ओर जिला और राज्य संघ का ध्यान नहीं है. जेएससीए के अध्यक्ष कुलदीप सिंह ने बताया, महिला क्रिकेट को बढ़ाने के लिए ग्रास रूट लेवल से काम करने की जरूरत है. इसके अलावा महिला क्रिकेटरों के परिजनों की मानसिकता में भी बदलाव लाना होगा.
ब्लॉक लेवल से ध्यान देना चाहिए. अधिक-से-अधिक मैच खेले जायें. रेग्यूलर कैंपों का आयोजन हो. महिला खिलाड़ियों को एक्पोजर मिले, तभी झारखंड में महिला क्रिकेट की स्थिति सुधरेगी.
– शुभलक्ष्मी शर्मा, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर, झारखंड

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