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फादर्स डे विशेष : 68 प्रतिशत पिता अपने बच्चाें काे राेज दाे घंटे भी समय नहीं दे पाते

प्रभात खबर ने झारखंड के चार शहर रांची, जमशेदपुर, धनबाद आैर देवघर में यह जानना चाहा कि एक व्यक्ति पिता के ताैर पर अपनी कितनी भूमिका अदा कर पा रहा है, इसके लिए प्रभात खबर ने समाज के हर तबके के लाेगाें के बीच सर्वे कराया. इसमें ग्रामीण इलाकाें काे शामिल नहीं किया गया है. […]

प्रभात खबर ने झारखंड के चार शहर रांची, जमशेदपुर, धनबाद आैर देवघर में यह जानना चाहा कि एक व्यक्ति पिता के ताैर पर अपनी कितनी भूमिका अदा कर पा रहा है, इसके लिए प्रभात खबर ने समाज के हर तबके के लाेगाें के बीच सर्वे कराया. इसमें ग्रामीण इलाकाें काे शामिल नहीं किया गया है. फादर्स डे के माैके पर हम इस सर्वे के प्रमुख निष्कर्ष काे यहां प्रकाशित कर रहे हैं.
रांची: झारखंड के शहरी इलाकाें में 68 फीसदी पिता अपने बच्चाें काे हर दिन दाे घंटे भी समय नहीं दे पाते. इनमें से 37 फीसदी पिता सिर्फ एक घंटा समय अपने बच्चाें काे दे पाते हैं. बच्चाें काे हर दिन सबसे अधिक समय देने में जमशेदपुर के पिता सबसे आगे (39 फीसदी) हैं. इसके बाद देवघर, धनबाद आैर रांची का स्थान आता है. हालात यह है कि झारखंड में 37 फीसदी पिता ऐसे हैं, जाे अपने बच्चाें काे सिर्फ एक घंटा या इससे भी कम समय देते हैं.
सर्वे से एक बात सामने आयी है कि भले ही पिता अपने बच्चाें काे अधिक समय नहीं दे पाते, लेकिन जाे भी समय देते हैं, उसमें वे अपने बच्चाें काे हाेमवर्क कराने आैर सुबह तैयार कराने में सहयाेग जरूर करते हैं. झारखंड के शहरी क्षेत्र के 63 फीसदी पिता अपने बच्चाें काे हाेमवर्क कराने में थाेड़ी-बहुत मदद जरूर करते हैं. शेष 37 फीसदी बच्चाें काे सहयाेग नहीं कर पाते. हाेमवर्क या पढ़ाई में बच्चाें काे सहयाेग करने में रांची (70 फीसदी) के लाेग सबसे आगे हैं. इसके बाद जमशेदपुर (65 फीसदी), देवघर (63 फीसदी) का स्थान है. इस मामले में धनबाद (54 फीसदी) के लाेग सबसे पीछे हैं.
जब बच्चाें काे स्कूल भेजने का समय आता है, तैयार करने का वक्त आता है या करियर चुनने की बात आती है, ताे झारखंड के 68 फीसदी पिता बच्चाें काे सहयाेग करते हैं, राह दिखाते हैं. जमशेदपुर में रहनेवाले पिता अपने बच्चाें के करियर बनाने में सहयाेग करने में सबसे अागे (74 फीसदी) हैं. देवघर (70 फीसदी) आैर रांची (69 फीसदी) का स्थान जमशेदपुर के बाद आता है. धनबाद के 41 फीसदी पिता अपने बच्चाें काे सुबह-सुबह तैयार करने या बाद में उनका करियर बनाने में काेई सहयाेग नहीं करते.

यह बार-बार शिकायत रही है कि पिता अपने बच्चाें काे समय नहीं देते, छुट्टी में घुमाने के लिए बाहर नहीं ले जाते या कम ले जाते हैं. सर्वे बताता है कि 80 फीसदी पिता अपने बच्चाें काे या ताे घुमाने ले जाते हैं या फिर मनाेरंजन के लिए (पार्क या सिनेमा) छुट्टी के दिन ले जाते हैं. जमशेदपुर में रहनेवाले 89 फीसदी पिता अपने बच्चाें काे घुमाने में सबसे आगे हैं. रांची (87 फीसदी) के लाेग इस मामले में जमशेदपुर से थाेड़ा ही पीछे हैं. यह बात उठती रही है कि आज के बच्चे उदंड हाेते जा रहे हैं, मां-पिता की बात नहीं सुनते हैं. सर्वे इस मामले राहत देता है.
शहरी इलाकाें में रहनेवाले 86 फीसदी लाेगाें ने कहा कि बच्चे उनकी बात सुनते हैं, बात मानते हैं, जबकि 14 फीसदी लाेगाें ने कहा कि बच्चे बात नहीं सुनते आैर मनमानी करते हैं. पिता की बात माननेवालाें में सबसे आगे देवघर (91 फीसदी) के बच्चे हैं. बात नहीं सुननेवालाें में धनबाद के बच्चे ज्यादा हैं. बच्चाें पर पढ़ाई में कड़ाई करने, डॉक्टर-इंजीनियर बनने के लिए बच्चाें पर माता-पिता द्वारा दबाव बनाने की शिकायत आती रहती है.
सर्वे बताता है कि 48 फीसदी पिता पढ़ाई के लिए कड़ाई करते हैं, करियर तय करने का दबाव बनाते हैं, जबकि 52 फीसदी लाेग बताते हैं कि बच्चाें पर वे काेई दबाव नहीं बनाते. बच्चाें पर पढ़ाई अाैर करियर के लिए सबसे ज्यादा दबाव (62 फीसदी) धनबाद के लाेग बनाते हैं. रांची के 83 फीसदी लाेगाें का कहना है कि वे अपने बच्चाें पर न ताे पढ़ाई के लिए दबाव बनाते हैं आैर न ही करियर थाेपते हैं.
आज कल अभिभावक (माता-पिता) इसलिए चिंतित रहते हैं कि उनके बच्चे माेबाइल-नेट पर ज्यादा समय बिताते हैं. बच्चाें की जिद काे ताेड़ने के लिए वे समझाते हैं आैर बात नहीं मानने पर कभी-कभी पिटाई भी करते हैं. झारखंड के 88 फीसदी लाेग (पिता) अपने बच्चाें काे समझा कर समस्या का निदान करते हैं. सिर्फ 4 फीसदी लाेग ही नहीं मानने पर बच्चाें की पिटाई करते हैं. आठ फीसदी लाेग ऐसे हैं, जाे बच्चाें काे यह कहते हुए छाेड़ देते हैं कि जाे करना है कराे.
बच्चाें काे समझाने में देवघर सबसे अव्वल है. वहां के 96 फीसदी लाेग (पिता) मानते हैं कि समझाने से उनके बच्चे समझ जाते हैं आैर पिटाई की नाैबत ही नहीं आती. सिर्फ दाे फीसदी लाेगाें काे बच्चाें पर हाथ उठाना पड़ता है. जमशेदपुर के 85 फीसदी मानते हैं कि समझाने से बात बन जाती है. सर्वे के दाैरान जब इन लाेगाें (पिता से) यह पूछा गया कि आप अपने काे आदर्श पिता मानते हैं, 89 फीसदी लाेगाें ने अपने काे आदर्श पिता बताया. 10 फीसदी लाेग ऐसे मिले , जिन्हाेंने साफ-साफ कहा कि वे एक पिता की पूरी भूमिका अदा नहीं कर पा रहे हैं.
(संकलन : राकेश, ग्राफिक्स उमेश)

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