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धनबाद : राधा धुन लागी, कन्हैया धुन लागी…

धनबाद : भक्तों की खुशी का कोई ठिकाना नही था. सभी नाच रहे थे. झूम रहे थे. सभी के हाथ फूलों से भरे थे. सभी कान्हा संग फूलों की होली खेलने को आतुर थे. गोल्फ मैदान में कथा स्थल वृंदावन धाम बना हुआ था. जैसे ही व्यास पीठ पर कान्हा राधा संग प्रकट हुए. कथा […]

धनबाद : भक्तों की खुशी का कोई ठिकाना नही था. सभी नाच रहे थे. झूम रहे थे. सभी के हाथ फूलों से भरे थे. सभी कान्हा संग फूलों की होली खेलने को आतुर थे.
गोल्फ मैदान में कथा स्थल वृंदावन धाम बना हुआ था. जैसे ही व्यास पीठ पर कान्हा राधा संग प्रकट हुए. कथा वाचक गौरव कृष्ण शास्त्री ने फूल बरसा कर उनका स्वागत किया. उसके बाद आयोजक, भक्त सभी आनंद में गाने लगे-आज कोयलांचल में होली रे रसिया. फूलों की होली ऐसी मनी कि सभी सुध-बुध खो कर कान्हा के चरणों में अपनी भक्ति समर्पित कर बैठे. फूलों की होली के साथ ही बुधवार को श्री श्री श्याम भक्त मंडल की ओर से आयोजित सप्ताहव्यापी श्रीमद् भागवत कथा को विश्राम दिया गया.
सुदामा चरित्र का वर्णन : सुदामा श्री कृष्ण के बाल सखा है. दोनों गुरुकुल में साथ रहे थे. उसके बाद उनका मिलना नहीं हो सका था. सुदामा गरीब जरूर थे. लेकिन कभी इसकी शिकायत प्रभु से नहीं की थी. जो भक्त होता है वह प्रभु से प्रेम करता है, शिकायत कभी नही करता है. सुदामा प्रभु के प्रेम में डूबे थे.
मन में एक ही भाव था, कब प्रभु का दर्शन हो जाये. सुदामा जी की पत्नी सुशीला सुदामाजी से कहती है आप तो भजन में लगे रहते हैं. घर में एक दाना नहीं है. पत्नी हो तो सुशीला जैसी हर परिस्थिति में पति का साथ दे रही है. सुदामा जी से कहती है एक बार द्वारिकाधीश से मिलने जाओ न. सुदामा कहते हैं जाना तो मैं भी चाहता हूं, लेकिन खाली हाथ कैसे जाऊं. सुशीला पड़ोसियों से चार मुट्ठी तंडूल (चावल) मांग लायी, उसकी पोटली बनाकर दे दी.
सुदामा पहुंचे द्वारिकाधीश : अपने बाल सखा से मिलने सुदामा द्वारिकापुरी के लिए निकल पड़े. मन में द्वारिकाधीश का ध्यान करते द्वारिकापुरी पहुंच गये. द्वारपाल से कहा मुझे द्वारिकाधीश से मिलना है.
द्वारपाल ने यह खबर द्वारिकाधीश तक पहुंचायी. बाल सखा के आने की खबर सुन श्रीकृष्ण महल से भागते हुए आये. सखा को गले लगाया और महल के भीतर ले गये. हाल-चाल पूछा. उनके पांव अपने हाथों से धोये. भोजन कराया. फिर मेरी भाभी ने क्या भेंट भेजी है कहते हुए सुदामा के बगल में छिपी पोटली छीन ली और उसके चावल खाने लगे. जब सुदामा अपने घर वापस लौटते हैं तो प्रभु की कृपा से वहां बंगला, नौकर चाकर पाते हैं. सुख में भगवान कृपा का दर्शन हर कोई करता है. लेकिन सच्चा वैष्णव और भक्त वही है जो दुख में बिहारी जी का दर्शन करता है. सुदामा वह है जो प्रेम की डोरी से भगवान को बांधे हुए है.
रुक्मिणी लक्ष्मी हैं और कृष्ण नारायण : रुक्मिणी साक्षात लक्ष्मी हैं और कृष्ण नारायण. लक्ष्मी हमेशा नारायण की ही पत्नी बनती है. लक्ष्मी अकेले जिस घर में आती है सुख तो बहुत लाती है पर शांति नही लाती है. पैसा सुख तो देता है, पर शांति नही देता है. पर जिस घर में लक्ष्मी नारायण के साथ आती है वहां सुख, पैसा शांति और परम आनंद आता है. शांति के धाम बांके बिहारी हैं. चरित्र और लीला में अंतर है. चरित्र वह है जिसे जीवन में उतार सकते हैं. और लीला वह है जिसका दर्शन करो, पर जीवन में मत उतारना.
भागवत कृपा से कथा का संयोग बनता है : भगवान की कथा जब हमारे कानों तक जाती है तो यह हमारा प्रयास का फल नहीं होता है. भागवत कृपा से कथा का संयोग बनता है. आध्यात्मिक समारोह संयोग से होते हैं, लेकिन कथा बिहारीजी के प्रसाद से मिलता है. प्रभु की कृपा रूपी बल से कथा प्राप्त होती है. जिस पर भागवत कृपा हो जाये उसी के कान में प्रभु की कथा जा सकती है. जिसके कानों में कभी प्रभु की कथा नहीं गयी हो, वह कान नही सांप का बिल है.
आयोजकों ने दिया धन्यवाद : श्री श्री श्याम भक्त मंडल हीरापुर की ओर से गोल्फ ग्राउंड में सात दिनों तक भक्ति की गंगा बहायी गयी. इसमें हजारों भक्तों ने गोते लगाये. आयोजकों ने सबके प्रति आभार जताया है. कार्यक्रम में सुनील अग्रवाल, कृष्णा अग्रवाल, सुशील अग्रवाल, चेतन गोयनका, गोपाल अग्रवाल, संजय गोयल, संजीव अग्रवाल, नंदलाल अग्रवाल, बासुदेव कारीवाल, वेदप्रकाश केजरीवाल, संदीप अग्रवाल, गोपाल कटेसरिया, विक्की अग्रवाल, प्रमोद डोकानिया एवं अन्य सदस्य सक्रिय रहे.

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