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आर्इएसआर्इएस चीफ बगदादी के दक्षिण एशिया अभियान को लगा करारा झटका, जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट…

विश्वत सेन अमेरिकी विदेशी मंत्रालय ने आतंकवादी संगठनों को अपनी सरजमीं पर पनाह देने आैर पनपाने को लेकर भले ही पाकिस्तान को आतंकवादी देशों की सूची में डाल दिया हो, लेकिन इससे पाकिस्तान को कम इस्लामिक स्टेट आॅफ सीरिया एंड इराक (आर्इएसआर्इएस) के चीफ अबू बकर अल बगदादी के दक्षिण एशिया अभियान को करारा झटका […]

विश्वत सेन

अमेरिकी विदेशी मंत्रालय ने आतंकवादी संगठनों को अपनी सरजमीं पर पनाह देने आैर पनपाने को लेकर भले ही पाकिस्तान को आतंकवादी देशों की सूची में डाल दिया हो, लेकिन इससे पाकिस्तान को कम इस्लामिक स्टेट आॅफ सीरिया एंड इराक (आर्इएसआर्इएस) के चीफ अबू बकर अल बगदादी के दक्षिण एशिया अभियान को करारा झटका लगा है. एक तरह से आप यह कह सकते हैं कि अमेरिका ने पाकिस्तान के बहाने बगदादी के दक्षिण एशिया अभियान की हवा निकालने के लिए पाकिस्तान को आतंकवाद को पनाह देने वाले देशों की सूची में डाला है.

यदि आप अमेरिकी विदेश मंत्रालय की आेर से सीनेट में पेश की गयी सालाना रिपोर्ट पर गौर करेंगे, तो उसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क आैर अफगानी तालिबान जैसे आतंकवादी संगठन को अपनी सरजमीं पर पनाह दिये हुए है. इसके साथ ही, उसमें यह भी कहा गया है कि उसकी सरजमीं लश्कर-ए-तैयबा, हिज्बुल मुजाहिद्दीन आैर जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों ने दूसरे देशों में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के साथ ही संगठन को धन की आवश्यकता को पूरी करने के लिए धन भी एकत्र किया है.

इस खबर को भी पढ़ेंः अमेरिका ने भारत में आर्इएस के लिए भर्ती करने वाले को ग्लोबल आतंकी घोषित किया, रेड काॅर्नर नोटिस जारी

इसके साथ ही, विदेश मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया है कि पाकिस्तान की सेना आैर सुरक्षा बलों की आेर से पाकिस्तान पर हमला करने वाले तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान जैसे आतंकवादी संगठनों पर कार्रवार्इ तो की, लेकिन उसकी सरजमीं से भारत-अफगानिस्तान जैसे देशों पर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने आैर उसके लिए धन जुटाने वाले संगठनों पर किसी तरह की कार्रवार्इ नहीं की.

अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करने के पहले कर्इ बार दी थी चेतावनी

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के सालाना रिपोर्ट में कही गयी इन बातों के परिप्रेक्ष्य में गौर किया जाये, तो हक्कानी नेटवर्क, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान आैर अफगानिस्तान तालिबान अमेरिका के लिए अफगानिस्तान में सिरदर्द बना हुआ है. यहां पर अफगानी तालिबान के अलावा आर्इएसआर्इएस, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान आैर हक्कानी नेटवर्क के सदस्य सक्रिय हैं. गौर करने वाली यह भी बात है कि ये सभी आतंकवादी संगठन पाकिस्तान में बैठकर अपनी आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. इस बात को लेकर अमेरिका ने मर्इ-जून के महीने में पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा था कि वह हक्कानी नेटवर्क आैर अफगानी तालिबान पर कार्रवार्इ करे, अन्यथा वह आर्थिक मदद देना बंद कर देगा. अमेरिका की लाख चेतावनी के बावजूद पाकिस्तान अपने नापाक इरादों में किसी प्रकार की तब्दीली नहीं की, तो अमेरिका ने उसे आतंकवाद को पनाह देने वाले देशों की सूची में डाल दिया.

पाकिस्तान की सरजमीं से दक्षिण एशिया में आर्इएसआर्इएस चला रहा अभियान

खुफिया सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान में इस समय दक्षिण एशिया में अपना पांव जमाने के लिए अबू बकर अल बगदादी के आर्इएसआर्इएस के अलावा अलकायदा, तालिबान, लश्कर-ए-तैयबा, पाकिस्तानी तालिबान, आर्इएसआर्इएस का अनुषंगी संगठन जेमाह इस्लामिया आैर अबू सय्याफ जैसे करीब 10 से अधिक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं. इन आतंकवादी संगठन में आर्इएसआर्इएस वहां के स्थानीय संगठनों की मदद से दक्षिण एशिया के पांच देश भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान आैर नेपाल में अपनी पैठ बनाने के लिए आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है.

पाकिस्तान से संचालित 30 से अधिक स्थानीय संगठन दूसरे देशों में दे रहे हैं आतंकी गतिविधियों को अंजाम

खुफिया सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान में इस समय 30 से अधिक एेसे आतंकवादी संगठन संचालित किये जा रहे हैं, जो व्यक्तिगत तौर पर या फिर वहां पर पैर जमाये आर्इएसआर्इएस, अलकायदा, तालिबान, लश्कर-ए-तैयबा, पाकिस्तानी तालिबान, आर्इएसआर्इएस का अनुषंगी संगठन जेमाह इस्लामिया आैर अबू सय्याफ जैसे बड़े संगठनों के साथ मिलकर दक्षिण एशिया के पड़ोसी देशों में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. राष्ट्रीय जांच एजेंसी की आेर से जारी एक सूची के अनुसार, पाकिस्तान में इस समय लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद, हिज्बुल मुजाहिद्दीन, अल उमर मुजाहिद्दीन, जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट, सिमी, दीनदार अंजुमन, अलकायदा, दुख्तरान-ए-मिल्लत, इंडियन मुजाहिद्दीन, जमात-उद-दावा, लश्कर-ए-झंगवी, फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन, अल रहमत ट्रस्ट जैसे 30 से अधिक स्थानीय आतंकवादी संगठन हैं, जो पाकिस्तान में बैठकर भारत, अफगानिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश आैर नेपाल आदि दक्षिण एशिया के पड़ोसी देशों में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं.

चंदे आैर आर्इएसआर्इएस के धन से दिया जाता है आतंक को बढ़ावा

2012 में आयी एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान की सरजमीं से भारत समेत दक्षिण एशिया के देशों में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने आैर उसे अंजाम देने के लिए वहां के स्थानीय संगठनों की आेर से चंदा इकट्ठा करके धन मुहैया कराया जाता है. खासकर, भारत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका आैर नेपाल में आतंकवादी पैर जमाने के लिए वहां के स्थानीय संगठनों की आेर से फंडिंग की जाती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए वहां के स्थानीय संगठनों ने चंदे से करीब 78 करोड़ पाकिस्तानी रुपया जमा करके अपने सदस्यों को मुहैया कराया है.

स्थानीय संगठनों को धन आैर हथियार मुहैया कराता है आर्इएसआर्इएस

इसके साथ ही खुफिया रिपोर्ट यह भी कहती है कि दक्षिण आैर दक्षिण पूर्व एशिया में अपना पैर जमाने के लिए आर्इएसआर्इएस वहां के स्थानीय संगठनों को पैसा देने के साथ ही अत्याधुनिक हथियार, आत्मघाती दस्ता, जेहादी दस्ता, लड़का आैर आर्इटी संचालन के लिए अत्याधुिनक तकनीक के साथ इंजीनियर भी मुहैया कराता है. अभी हाल ही वर्षों में भारत आैर बांग्लादेश में हुए कुछ आतंकवादी हमलों पर गौर करेंगे, तो उसकी जिम्मेवारी पाकिस्तानी संगठन के बजाय आर्इएसआर्इएस ने लिया है, जबकि उन घटनाआें को अंजाम देने में पाकिस्तान के स्थानीय आतंकी संगठनों के सदस्यों की अहम भूमिका रही है.

दक्षिण एशिया में पैर जमाने के लिए आर्इएसआर्इएस के निशाने पर भारत के अलावा बांग्लादेश, नेपाल आैर श्रीलंका

दक्षिण एशिया में अपना पैर जमाने के लिए पाकिस्तान की सरजमीं पर बैठकर दुनिया का सबसे खूंखार आतंकवादी संगठन आर्इएसआर्इएस ने अपने निशाने पर भारत के अलावा बांग्लादेश, नेपाल आैर श्रीलंका को भी रखे हुए है. जुलार्इ, 2015 में बांग्लादेश की राजधानी ढाका के एक कैफे में आतंकवादी हमला करके उसने वहां पर अपनी धमक का एहसास कराने की कोशिश की थी. इसके लिए उसने वहां के स्थानीय आतंकवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश के सदस्यों की सहायता से हमला किया था. हालांकि, इसके एक साल बाद इस संगठन के चार सदस्य वहां के सुरक्षा बलों के मुठभेड़ में मार गिराये गये थे.

नवंबर, 2016 से श्रीलंका में आर्इएसआर्इएस के प्रवेश के मिले सुराग

खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, वर्ष 2015 तक श्रीलंका में लिट्टे आैर वहां के स्थानीय आंतकी संगठनों को छोड़ आर्इएसआर्इएस किसी अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन की पैठ होने के सबूत नहीं थे. नवंबर, 2016 में श्रीलंका में उसके होने के एहसास तब हुआ, जब वहां के करीब 32 मुस्लिम परिवार के युवक आर्इएसआर्इएस में शामिल होने के लिए गायब हो गये थे. इस बात का अंदेशा जाहिर करते हुए श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे ने आशंका जाहिर की थी, वहां से गायब 30 मुस्लिम परिवारों के युवक संभवतः आर्इएसआर्इएस में शामिल होने के लिए ही गायब हुए हैं.

नेपाल के रास्ते भारत में घुसपैठ करना चाहता था आर्इएसआर्इएस

खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इसी साल 25 अप्रैल को भारत की खुफिया एजेंसियों को इस बात की सूचना मिली कि आर्इएसआर्इएस के कुछ सदस्य नेपाल के रास्ते भारत में घुसपैठ करने की योजना बना रहे हैं. इसकी सूचना मिलते ही उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड आैर बिहार में हार्इ एलर्ट घोषित कर दिया गया था. इसका कारण यह है कि नेपाल के रास्ते अगर कोर्इ आतंकी संगठन घुसपैठ करता है, तो उसके लिए उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश आैर बिहार के सीमार्इ रास्ते ज्यादा मुफीद हैं.

गौर करने वाली बात यह भी है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आर्इएसआर्इ भी कुछ साल पहले तक भारत में आतंकवादी घुसपैठ कराने के लिए नेपाल को अपना ठिकाना बनाता रहा है आैर वहां से वह नकली नोटों के अलावा मादक पदार्थ आैर हथियारों की खेप भारत में भेजने का काम करता है. आर्इएसआर्इएस भी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आर्इएसआर्इ की तर्ज पर भारत में घुसपैठ की कर्इ बार कोशिश कर चुका है. उसकी इस गतिविधि से यह साफ हो जाता है कि उसने नेपाल में अपनी जड़ें जमा चुका है आैर फिर वह वहीं से अपनी गतिविधियों को अंजाम देने की फिराक में लगा रहता है. हालांकि, भारत की सुरक्षा आैर खुफिया एजेंसियों ने कर्इ बार उसकी एेसी मंशा पर पानी फेरने का काम किया है.

इन तमाम परिप्रेक्ष्य पर अगर आप गौर करेंगे, तो यह साफ हो जाता है कि अमेरिका ने बीते बुधवार को पाकिस्तान को आतंकवाद को पनाह देने वाले देशों की सूची में डालकर प्रत्यक्ष रूप से उस पर प्रहार तो किया ही है, लेकिन परोक्ष रूप से उसने आर्इएसआर्इएस के चीफ अबू बकर अल बगदादी के दक्षिण आैर दक्षिण पूर्व एशिया की मुहिम पर भी करारा चोट किया है. इसलिए अमेरिका की आेर से पाकिस्तान पर की कार्रवार्इ से पाकिस्तान के साथ-साथ बगदादी के दक्षिण एशिया अभियान को भी करारा झटका लगा है.

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