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UGC Final Year Exams: कोरोना संकट के बीच परीक्षा होगी या नहीं, 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अंतिम वर्ष (सेमेस्टर) की परीक्षाओं के मामले की सुनवाई की. इस दौरान सुनवाई को 18 अगस्त तक के लिए टाल दिया. सुनवाई के दौरान छात्रों का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने रखा. युवा सेना की एक दूसरी याचिका में छात्रों का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने रखा. सुनवाई के दौरान छात्रों के वकीलों ने कहा कि ‘देशभर में 29 अप्रैल को कोरोना मामलों की संख्या एक हजार से ज्यादा थी. अभी संक्रमण की संख्या लाखों में है. इस स्थिति में परीक्षाएं आयोजित कैसे की जाती है?’ बता दें यूजीसी ने 30 सितंबर तक परीक्षा आयोजित कराने का निर्देश दिया था. इसके बाद छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगायी है.

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अंतिम वर्ष (सेमेस्टर) की परीक्षाओं के मामले की सुनवाई की. इस दौरान सुनवाई को 18 अगस्त तक के लिए टाल दिया. सुनवाई के दौरान छात्रों का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने रखा. युवा सेना की एक दूसरी याचिका में छात्रों का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने रखा. सुनवाई के दौरान छात्रों के वकीलों ने कहा कि ‘देशभर में 29 अप्रैल को कोरोना मामलों की संख्या एक हजार से ज्यादा थी. अभी संक्रमण की संख्या लाखों में है. इस स्थिति में परीक्षाएं आयोजित कैसे की जाती है?’ बता दें यूजीसी ने 30 सितंबर तक परीक्षा आयोजित कराने का निर्देश दिया था. इसके बाद छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगायी है.

30 सितंबर तक परीक्षा कराने पर उठा सवाल

दरअसल, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 6 जुलाई को विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में विभिन्न यूजी और पीजी पाठ्यक्रमों के अंतिम वर्ष (सेमेस्टर भी) की परीक्षाओं को अनिवार्य रूप से 30 सितंबर तक कराने का चार्टर जारी किया था. उसके बाद से ही कोरोना वायरस महामारी के बीच परीक्षा कराने का विरोध किया जा रहा है. देश भर के अलग-अलग संस्थानों के 31 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके यूजीसी के फैसले को चुनौती दी है. इसमें अंतिम वर्ष या सेमेस्टर की परीक्षाओं को रद्द करने की मांग की गयी है. याचिका में छात्रों के रिजल्ट, उनके इंटर्नल असेसमेंट या पास्ट पर्फार्मेंस के आधार पर तैयार करने की मांग की गयी है.

राज्यों को परीक्षा रद्द करने का अधिकार नहीं

इसके पहले 10 अगस्त की सुनवाई के दौरान यूजीसी ने दिल्ली और महाराष्ट्र के फैसले पर सवाल उठाया था. दोनों सरकारों ने परीक्षाओं को रद्द कर दिया था. इसके बाद कोर्ट में यूजीसी का कहना था कि उनका फैसला यूजीसी के नियमों के खिलाफ है. राज्यों को यूजीसी के तहत आयोजित होने वाली परीक्षाओं को रद्द करने का कोई अधिकार नहीं है. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने समय मांग लिया. इसको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने समय देते हुए मामले की अगली सुनवाई 14 अगस्त को तय कर दिया था.

Posted By: Abhishek.

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