28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

Teacher’s Day 2020: ऐसे शिक्षक जो हमेशा भारतीय इतिहास में श्रेष्ठ शिक्षक के तौर पर जाने जाते रहेंगे

Teachers Day celebrated in India नयी दिल्ली : भारत में शिक्षकों को सर्वोच्च दर्जा प्राप्त है. आदि काल से शिक्षकों का आदर होता आया है. शिक्षक ना केवल मानव को ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्कि एक बच्चे को उसकी ताकत और कमजोरियों की पहचान करने में भी मदद करते हैं. इससे उसे एक बेहतर इंसान बनने में मदद मिलती है. देश में शिक्षकों का दर्जा भगवान से भी ऊपर दिया गया है. भारत ने दुनिया को कई बड़े दार्शनिक दिये जो विश्व गुरु के रूप भी आज भी विख्यात हैं.

Teachers Day celebrated in India नयी दिल्ली : भारत में शिक्षकों को सर्वोच्च दर्जा प्राप्त है. आदि काल से शिक्षकों का आदर होता आया है. शिक्षक ना केवल मानव को ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्कि एक बच्चे को उसकी ताकत और कमजोरियों की पहचान करने में भी मदद करते हैं. इससे उसे एक बेहतर इंसान बनने में मदद मिलती है. देश में शिक्षकों का दर्जा भगवान से भी ऊपर दिया गया है. भारत ने दुनिया को कई बड़े दार्शनिक दिये जो विश्व गुरु के रूप भी आज भी विख्यात हैं.

जहां तक शिक्षा के क्षेत्र का संबंध है, भारत का एक गहरा इतिहास रहा है. वैसे तो पुराने समय से गुरु पूर्णिमा के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता रहा है. इस दिन वेद व्यास की जयंती है. महर्षि वेद व्यास ने महाभारत महाकाव्य की रचना की थी. गुरु पूर्णिमा का दिन इन्हीं को समर्पित है. वहीं, 5 सितंबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन की जयंती के दिन देशभर में शिक्षक दिवस मनाया जाता है. हमारे देश के बहुत से शिक्षाविदों, शिक्षकों और व्याख्याताओं के योगदान, प्रतिभा और कौशल को विश्व स्तर पर स्वीकार किया गया है. ऐसे ही कुछ महान शिक्षकों से हम आपका परिचय करवाते हैं…

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन : भारत के पूर्व राष्ट्रपति और दार्शनिक तथा शिक्षाविद डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 1888 को तमिलनाडु के एक छोटे से गांव तिरुतनी में हुआ था. राधाकृष्णन ने कलकत्ता, मैसूर, हार्वर्ड विश्वविद्यालय, हैरिस मैनचेस्टर कॉलेज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय सहित दुनिया भर के असंख्य विश्वविद्यालयों में पढ़ाया है. 17 अप्रैल 1975 को उन्होंने देह छोड़ दी.

Also Read: Teachers Day 2020: शिक्षक दिवस के मौके पर जानिए गुरु की हमारी जिंदगी में क्या अहमियत है?

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम : भारत के ‘मिसाइल मैन’ कहे जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने हमेशा चाहा कि उनको एक अच्छे शिक्षक के तौर पर याद किया जाए. पढ़ाने का उनको जुनून था. उनका निधन 27 जुलाई 2015 को आईआईएम शिलॉन्ग में पढ़ाते समय ही हुआ था. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु, भारत में हुआ था. उनकी जयंती को विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है.

आचार्य चाणक्य : आचार्य चाणक्य महान शाषक चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री और गुरु थे. वे ‘कौटिल्य’ के नाम से भी विख्यात हैं. वे तक्षशिला विश्वविद्यालय के आचार्य थे, उन्होंने मुख्यत: भील और किरात राजकुमारों को प्रशिक्षण दिया. उन्होंने नंदवंश का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया. उन्होंने राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि के कई महान ग्रंथों की रचना की. अर्थशास्त्र मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है.

स्वामी दयानंद सरस्वती : महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती आधुनिक भारत के महान चिंतक, समाज-सुधारक, अखंड ब्रह्मचारी और आर्य समाज के संस्थापक थे. उनके बचपन का नाम मूलशंकर था. उन्होंने वेदों के प्रचार और आर्यावर्त को स्वतंत्रता दिलाने के लिए मुंबई में आर्य समाज की स्थापना की. वे एक संन्यासी तथा एक चिंतक थे. उन्होंने वेदों की सत्ता को सदा सर्वोपरि माना. वेदों की ओर लौटो यह उनका प्रमुख नारा था. स्वामी दयानंद ने वेदों का भाष्य किया इसलिए उन्हें ‘ऋषि’ कहा जाता है. उन्होंने कर्म सिद्धांत, पुनर्जन्म, ब्रह्मचर्य तथा सन्यास को अपने दर्शन के चार स्तम्भ बनाये.

रवींद्रनाथ टैगोर : रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता हैं. उन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है. बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूंकने वाले युगदृष्टा थे. वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार से सम्मानित व्यक्ति हैं. वे एकमात्र कवि हैं, जिसकी दो रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान बनीं. भारत का राष्ट्र-गान ‘जन गण मन’ और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान ‘आमार सोनार बांग्ला’ गुरुदेव की ही रचनाएं हैं.

सावित्रीबाई फुले : सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 में हुआ था. वे भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवियित्री थीं. उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए. वे प्रथम महिला शिक्षिका थीं. उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है. 1852 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की. सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं. उनको महिलाओं और दलित जातियों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है.

स्वामी विवेकानंद : स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 में हुआ था. वे वेद वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे. उनका वास्तविक नाम नरेंद्र नाथ दत्त था. उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था. भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदांत दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानंद के कारण ही पहुंचा. उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है. वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे. कलकत्ता के एक कुलीन बंगाली कायस्थ परिवार में जन्मे विवेकानंद आध्यात्मिकता की ओर झुके हुए थे.

मुंशी प्रेमचंद : धनपत राय श्रीवास्तव का जन्म 31 जुलाई 1880 में हुआ था, आगे चलकर ये प्रेमचंद के नाम से विख्यात हुए. वे हिंदी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे. उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियां लिखीं. उनमें से अधिकांश हिंदी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं. जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे. महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबंध, साहित्य का उद्देश्य अंतिम व्याख्यान, कफन अंतिम कहानी, गोदान अंतिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अंतिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है.

Posted by: Amlesh Nandan.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें