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US-India 2+2 वार्ता में भारत की दो टूक, हम जितना 1 महीने में रूस से तेल लेते हैं, उतना यूरोप एक दिन में

अपने अमेरिकी समकक्ष एंटनी ब्लिंकन से हुई बातचीत की जानकारी मीडिया को देते हुए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि एक स्वतंत्र, खुला और समावेशी इंडो-पैसिफिक कैसे सुनिश्चित किया जाए, यह भी हमारे एजेंडे में था. हमने अफगानिस्तान और उसके आस-पास की घटनाओं के बारे में बात की.

नई दिल्ली : यूरोप के दो देश रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच यूएस-इंडिया टू प्लस टू की मंत्रिस्तरीय बातचीत में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से बातचीत की. इस दौरान एस जयशंकर ने मंगलवार को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को दो टूक शब्दों में कहा कि भारत की रूसी ऊर्जा की मासिक खरीद यूरोप के एक दिन के मुकाबले कम है.

उन्होंने रूसी तेल खरीद पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि यदि आप रूस से (भारत की) ऊर्जा खरीद देख रहे हैं, तो मेरा सुझाव है कि आपका ध्यान यूरोप पर होना चाहिए. हम अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक कुछ ऊर्जा खरीदते हैं, लेकिन मुझे संदेह है, आंकड़ों को देखते हुए, महीने के लिए हमारी खरीदारी यूरोप की दोपहर की (खरीद की) तुलना में कम होगी.

इस बातचीत के दौरान दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने अभी हाल के दिनों में भारतीय उपमहाद्वीप और इंडो-पैसिफिक में हुई ताजा घटनाओं पर चर्चा की. भारत-अमेरिका के बीच सोमवार को आयोजित टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय बैठक में शामिल होने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर वाशिंगटन गए हुए हैं.

अपने अमेरिकी समकक्ष एंटनी ब्लिंकन से हुई बातचीत की जानकारी मीडिया को देते हुए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि एक स्वतंत्र, खुला और समावेशी इंडो-पैसिफिक कैसे सुनिश्चित किया जाए, यह भी हमारे एजेंडे में था. हमने अफगानिस्तान और उसके आस-पास की घटनाओं के बारे में बात की. हमारी बातचीत में भारतीय उपमहाद्वीप में हाल की घटनाओं को भी शामिल किया गया.

उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका के बीच चौथी टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता में भाग लेना मेरे लिए बहुत खुशी की बात है. टू प्लस टू प्रारूप का उद्देश्य हमारी साझेदारी को और अधिक एकीकृत बनाना है. ये तेजी से प्रासंगिक हो गया है, क्योंकि हमारी साझेदारी का दायरा और तीव्रता लगातार बढ़ रही है. एस जयशंकर ने आगे कहा कि हमारी भागीदारी का महत्वपूर्ण केंद्र हिंद-प्रशांत क्षेत्र से संबंधित है. हमने देखा है कि पिछले एक वर्ष में क्वाड ने तीव्रता से काम करते हुए नई ऊंचाई को छुआ है. इस संबंध में हमारी उपलब्धियों में व्यापक गूंज सुनाई दी है.

वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बातचीत के बारे में कहा कि हम अमेरिकी कंपनियों के साथ सह-विकास और सह-उत्पादन की इच्छा व्यक्त करते हैं और अमेरिका की डिफेंस कंपनियों से यूपी और तमिलनाडु के डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में और निवेश करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि हम संचार संगतता और सुरक्षा समझौता के कार्यान्वयन और बुनियादी विनिमय और सहयोग समझौते के प्रभावी संचालन में भी प्रगतिशील हैं. राजनाथ ने कहा कि मैंने अमेरिका की कंपनियों को डिफेंस, एयरोस्पेस और मेक फॉर इंडिया एंड वर्ल्ड प्रोग्राम के लिए भी आमंत्रित किया है.

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि आने वाले समय में डिफेंस स्पेस और डिफेंस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डायलॉग के बारे में एग्रीमेंट, कई अन्य पहल और एग्रीमेंट जो चर्चा के चरण में हैं, उनमें सार्थक प्रगति हमारी सैन्य सहभागिता के दायरा को और बढ़ाने को लेकर हुई है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आगे कहा कि भारत का डिपार्टमेंट और स्पेस और यूएसए का डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस के बीच ‘स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस एग्रीमेंट’ भी संपन्न हुआ है. उन्होंने कहा कि हमारी साझेदारी इंडो पैसिफिक और हिन्द महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण है. बैठक के दौरान हमने अपने पड़ोस और हिन्द महासागर क्षेत्र के हमारे आकलन को भी साझा किया है.

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