केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों (farmer laws) के खिलाफ किसानों का विरोध (Kisan Andolan) प्रदर्शन लगातार 26वें दिन भी जारी है. सरकार के साथ किसानों की बात अब तक नहीं बन पायी है. इधर किसानों ने सोमवार को दिल्ली-यूपी बॉर्डर को जाम (Agitating farmers block road) कर दिया. किसानों ने बताया, बैठक के लिए कोई अधिकारी यहां नहीं आये, इसलिए बॉर्डर जाम कर दिया गया है. किसान नेताओं ने कहा, हम तब तक नहीं हटेंगे जब तक हमारी मांग पूरी नहीं हो जाती.
वहीं किसान नेताओं ने कहा कि अगर सरकार ठोस समाधान पेश करती है तो वे हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन दावा किया कि वार्ता के लिए अगले तारीख के संबंध में केंद्र के पत्र में कुछ भी नया नहीं है. भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि वह नए कृषि कानूनों में संशोधन के पूर्व के प्रस्ताव पर बात करना चाहती है.
टिकैत ने कहा, इस मुद्दे पर हमने उनके साथ पहले बातचीत नहीं की थी. फिलहाल हम चर्चा कर रहे हैं कि सरकार के पत्र का किस तरह जवाब दिया जाए. नौ दिसंबर को छठे चरण की वार्ता स्थगित कर दी गयी थी. कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने करीब 40 किसान संगठनों के नेताओं को रविवार को पत्र लिखकर कानून में संशोधन के पूर्व के प्रस्ताव पर अपनी आशंकाओं के बारे में उन्हें बताने और अगले चरण की वार्ता के लिए सुविधाजनक तारीख तय करने को कहा है ताकि जल्द से जल्द आंदोलन खत्म हो.
दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान कड़ाके की सर्दी में पिछले लगभग चार सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं और नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. इनमें ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं.
केंद्र सरकार सितंबर में पारित तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे.
Posted By - Arbind kumar mishra