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हरियाणा: करनाल में कल महापंचायत पर अड़े किसान, इंटरनेट सेवा ठप

हरियाणा के करनाल में सोमवार (6 सितंबर) को दिन में 12:30 बजे से इंटरनेट सेवा बंद (Internet Service Suspended in Karnal) कर दी गयी. यह रोक मंगलवार (7 सितंबर) की रात 11:59 बजे तक जारी रहेगी.

Internet Service Suspended in Karnal: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) में किसान महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) की अपार सफलता के बाद अब हरियाणा के करनाल (Kisan Mahapanchayat in Karnal) में ऐसा ही आयोजन किया जा रहा है. 7 सितंबर को करनाल में होने वाली किसान महापंचायत से पहले किसानों के यूनियन और प्रशासन के बीच बैठक हुई. इसके बाद हरियाणा सरकार ने करनाल में इंटरनेट सेवा पर रोक लगाने के निर्देश जारी कर दिये.

मनोहरलाल खट्टर की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार ने कहा है कि विधि-व्यवस्था को बनाये रखने के लिए प्रशासन ने इंटरनेट सेवा पर रोक (Internet Service Disrupted) लगाने का फैसला किया गया है. सोमवार (6 सितंबर) को दिन में 12:30 बजे से इंटरनेट सेवा बंद (Internet Services Suspended) कर दी गयी. यह रोक मंगलवार (7 सितंबर) की रात 11:59 बजे तक जारी रहेगी.

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करनाल के जिलाधिकारी निशांत कुमार यादव ने कहा है कि उन्होंने किसानों के साथ बातचीत की. उनकी मांगें जायज नहीं थीं. कानून का उल्लंघन करने वालों को कोई मुआवजा नहीं दिया जायेगा. न ही किसी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी. हम मंगलवार को उन्हें हाईवे को ब्लॉक नहीं करने देंगे. न ही मिनी सचिवालय का घेराव करने देंगे.

दूसरी तरफ, हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख गुरनाम सिंह चारुनी ने कहा कि प्रशासन के साथ उनकी वार्ता बेनतीजा रही. उन्होंने कहा कि किसान पंचायत होकर रहेगी. 7 सितंबर को करनाल में महापंचायत भी होगी और मिनी सचिवालय का घेराव भी होगा. 28 अगस्त को किसानों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है.

वहीं करनाल के एसपी गंगा राम पूनिया ने कहा है कि 28 अगस्त को 40 कंपनी सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था. इनमें से 10 कंपनियां अर्द्धसैनिक बलों (सीएपीएफ) की थी, जिसमें बीएसएफ के जवान भी शामिल थे. गंगा राम पूनिया ने कहा है कि 5 एसपी और 25 डीएसपी रैंक के अधिकारियों को तैनात किया गया था. वाटर कैनन, दंगा रोधी वाहन, ड्रोन और वीडियोग्राफरों को तैनात किया गया था.

इंटरनेट सेवा बंद करने के हरियाणा (Haryana) सरकार के इस फैसले पर ट्विटर पर मिलीजुली प्रतिक्रिया आयी है. कुछ लोगों ने पूछा है कि पहले ही क्यों नहीं रोक दी गयी. यदि वर्ष 2020 में रोक लगा दी होती, तो इतना बवाल ही खड़ा नहीं होता. वहीं, कुछ लोगों ने पूछा है कि सरकार कृषि कानूनों (Farm Laws) को वापस क्यों नहीं ले लेती.

प्रत्यूष शुक्ला ने लिखा है कि यदि किसान नहीं चाहते, तो कानूनों को सरकार वापस क्यों नहीं ले लेती? प्रत्यूष ने आगे लिखा है कि यह तो बिल्कुल वैसा ही हुआ कि आपने मुझे दो कपड़े खरीदकर दिये. लेकिन वे मुझे पसंद नहीं आये, तो आप मुझे उन कपड़ों को पहनने के लिए मजबूर क्यों करेंगे??? कपड़े तो मुझए पहनने हैं ना? आपको तो पहनना नहीं है, तो आप उन कपड़ों को बदल क्यों नहीं देंगे?

खट्टर सरकार को कहा डरपोक

हरमीत कौर ने खट्टर सरकार को डरपोक करार दिया है. कहा है कि डरपोक सरकार लोकतंत्र के बारे में बातें करती है. ये लोग लोगों के जीवन में हस्तक्षेप नहीं करने के बारे में लंबा-चौड़ा भाषण देते हैं. हरमीत ने लिखा है-

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है

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मोहित भूटानी ने लिखा है- बहुत बढ़िया हरियाणा पुलिस… अब कम से कम यूट्यूबर और फेसबुकिया अपने एजेंडा को फैलाने में कामयाब नहीं हो पायेंगे.

Posted By: Mithilesh Jha

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