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निर्दोषों को जेल में डाल देना खतरनाक

-मालेगांव विस्फोट कांड पर हबीबुल्ला ने कहा-नयी दिल्ली : राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) के अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला का कहना है कि आतंकवाद जैसे गंभीर अपराधों के लिए निर्दोंष लोगों को जेल में डालना ‘खतरनाक’ है और पुलिस एवं जांच एजेंसियों को ऐसे मामलों से निबटने के दौरान पूरी सावधानी बरतनी चाहिए. हबीबुल्ला का बयान राष्ट्रीय […]

-मालेगांव विस्फोट कांड पर हबीबुल्ला ने कहा-
नयी दिल्ली : राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) के अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला का कहना है कि आतंकवाद जैसे गंभीर अपराधों के लिए निर्दोंष लोगों को जेल में डालना ‘खतरनाक’ है और पुलिस एवं जांच एजेंसियों को ऐसे मामलों से निबटने के दौरान पूरी सावधानी बरतनी चाहिए.

हबीबुल्ला का बयान राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा कल मुम्बई में दक्षिणपंथी संगठनों के संदिग्ध चार सदस्यों के खिलाफ आरोपपत्र दायर करने और मुम्बई पुलिस एवं सीबीआई द्वारा गिरफ्तार नौ मुस्लिम युवकों के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में आया. मुम्बई पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) और केंद्रीय जांच ब्यूरो ने इससे पहले नौ मुस्लिम युवकों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था और उन पर मालेगांव में आठ सितंबर, 2006 को बम विस्फोट करने का आरोप लगाया था. सांप्रदायिक रुप से संवेदनशील मालेगांव मुम्बई से 290 किलोमीटर दूर है. बाद में एनआईए ने इन नौ मुस्लिम युवकों के जमानत आवेदन का विरोध नहीं किया और उन्हें रिहा कर दिया गया. वे पांच साल से सलाखों के पीछे थे.

हबीबुल्ला ने कहा, ‘‘यह नहीं होना चाहिए था क्योंकि यह खतरनाक है. यह इस बात का भी संकेत है कि वास्तविक आतंकवादी अब भी बाहर हैं.’’ उन्होंने कहा कि ऐसे आतंकवाद से जुड़े मामलों में गलत तरीके से फंसाए गए युवकों के जीवन पर इस सब का गहरा असर पड़ता है. उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मतलब है कि लोग उन्हें नौकरियां देने, उनसे अपनी बहन एवं बेटियां ब्याहने से हिचकते हैं. कितना उचित है यह?’’ उन्होंने कहा कि वह महाराष्ट्र और केंद्र सरकार के सामने इन नौ युवकों के पुनर्वास का विषय उठाते रहेंगे. हबीबुल्ला ने कहा कि इन लोगों का यथाशीघ्र पुनर्वास किया जाना जरुरी है. एनसीएम के प्रयास के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उसने मामले की जांच के लिए एक टीम मुम्बई भेजी है. इन मुस्लिम युवकों के अभिभावकों ने एनसीएम को आवेदन दिया था.

उन्होंने कहा,‘‘यहां तक कि मुम्बई पुलिस ने भी अपनी गलती स्वीकार कर ली थी लेकिन यह मामला सीबीआई को सौंपा गया और फिर एनआईए को. अब जब कुछ अन्य लोगों के नाम लिए गए हैं, आशा की जानी चाहिए कि अंतत: सच्चाई सामने आएगी.’’ हबीबुल्लाह ने कहा कि इस बात के लिए जरुरी कदम उठाए जाने चाहिए कि मुम्बई पुलिस द्वारा गिरफ्तार लोगों को औपचारिक रुप से बरी किए जाने का अदालत से अनुरोध किया जाए और सरकार चाहे वह राज्य सरकार या केंद्र सरकार हो, उनके लिए पुनर्वास पैकेज लाए.

आठ सितंबर, 2006 को मालेगांव में शाब ए बारात के दिन चार बम विस्फोट हहुए थे. शाब ए बारात मुस्लिमों के लिए पावन दिन माना जाता है जब वे अपने दिवंगत रिश्तेदार के प्रति सम्मान अर्पित करने के लिए इकट्ठा होते हैं. पुलिस ने सलमान फारसी, शबीर अहमद, नुरुलहुदा दोहा, रईस अहमद, मोहम्मद जाहिद, फारुगी अंसारी, अबरार अहमद, आसिफ खान और मोहम्मद अली को गिरफ्तार किया था. उनकी जमानत अर्जी का एनआईए द्वारा विरोध नहीं किये जाने पर उन्हें रिहा कर दिया गया.

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