नयी दिल्ली : सरकार ने सभी दलों से आंध्र प्रदेश विभाजन के मामले को निपटाने की अपील करते हुए आज कहा कि तेलंगाना ऐसा मुद्दा है जिसके संबंध में पहले ही वादा किया जा चुका है. आंध्र प्रदेश के विभाजन के समर्थक और विरोधी समूहों के कारण संसद की कार्यवाही लगातार बाधित रहने के कारण सरकार ने यह अपील की. गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘ यह ऐसा मामला है जिसके संबंध में पहले ही वादा किया जा चुका है.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या केंद्र सरकार की कैबिनेट आज शाम अपनी बैठक में तेलंगाना विधेयक को हरी झंडी दे देगी ताकि उसे पारित होने के लिए संसद के समक्ष पेश किया जा सके.
संसदीय मामलों के मंत्री कमलनाथ ने कहा कि तेलंगाना के कारण अवरोध कांग्रेस बनाम अन्य दलों का मामला नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘ यह मामला कांग्रेस के सांसदों के बारे में नहीं है. मेरी सभी सदस्यों से अपील है कि उन्हें यह समझना होगा कि यदि 15वीं लोकसभा में यह मामला नहीं सुलझता है तो इसे अगली लोकसभा में सुलझाना होगा.’’ कमलनाथ ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ तब भी संसद में तेलंगाना के 17 और सीमांध्र के 25 सांसद होंगे. इस मामले को केवल संसद और मतदान द्वारा निपटाया जा सकता है क्योंकि इसमें हमेशा तेलंगाना और सीमांध्र के सदस्य रहेंगे. आप इसका विरोध कर सकते हैं लेकिन विरोध करना अवरोध उत्पन्न करने से अलग है.’’
यह पूछे जाने पर कि क्या इस विधेयक के अगले सप्ताह संसद में आने की उम्मीद है, उन्होंने कहा, ‘‘ हम हमेशा उम्मीद कर सकते हैं.’’ माकपा के नेता बासुदेव आचार्य ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सदस्यों की ओर से अविश्वास प्रस्ताव यह दर्शाता है कि सत्तारुढ पार्टी के कारण ही अवरोध उत्पन्न हो रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘ वे :कांग्रेस: संसद को चलने नहीं देना चाहते हैं. वे भ्रष्टाचार विरोधी विधेयकों को पारित नहीं होने देना चाहते हैं. यदि वे भ्रष्टाचार विरोधी विधेयकों को पारित करने को लेकर गंभीर होते, तो वे उसे काफी पहले ला चुके होते. हम हंगामे के बीच बहस के बिना किसी भी विधेयक को पारित नहीं होने देंगे.’’