नयी दिल्ली : नेपाल के राजनीतिक परिवर्तन से गुजरने के बीच भारत ने वहां सभी वर्गों की आकांक्षाओं को समावेशित कर देश के संविधान के क्रियान्वयन की आज वकालत की और इस हिमालयी राष्ट्र में चीन द्वारा अपना पैर जमाने की कोशिश के बीच उसने उसे सभी संभव सहायता का आश्वासन दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने नेपाली समकक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के साथ सघन एवं फलदायक बातचीत की जिसके बाद दोनों पक्षों ने तीन समझौतों पर दस्तखत किए. उनमें से एक के तहत भारत नेपाल को भूंकप के बाद के पुनर्निर्माण के वास्ते 15 करोड़ डालर देगा.
दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रचंड की यह पहली भारत यात्रा है. के पी शर्मा ओली ने नये संविधान के खिलाफ मधेसियों के विरोध के कारण उत्पन्न ताजे राजनीतिक उठापठक के चलते जुलाई में प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. दोनों देशों ने रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्रों में भी सहयोग जारी रखने का फैसला किया.
दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच भेंटवार्ता के बाद मोदी ने मीडिया को जारी एक बयान में कहा कि भारत को आशा है कि नेपाल अपने विविधतापूर्ण समाज के सभी वर्गों की आकांक्षाओं का समावेशन करते हुए वार्ता के जरिए संविधान को लागू करने में सफल रहेगा.
उन्होंने प्रचंड की उपस्थिति में कहा, ‘‘बिल्कुल नजदीक पड़ोसी और दोस्ताना राष्ट्र होने के नाते नेपाल की शांति, स्थिरता और समृद्धि ही हमारा साक्षा उद्देश्य है.” इस पर प्रचंड ने कहा कि उनके देश के मन में भारत के प्रति सद्भावना के सिवा कुछ और नहीं है और दोनों देशों के भविष्य आपस में संबद्ध हैं.
मोदी ने कहा कि भारत को खुशी है कि नेपाल की विकास यात्रा और आर्थिक प्रगति के हर कदम पर वह उसका साझेदार रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारी दोस्ती समय की कसौटी पर खरी उतरी है और अनोखी है. हम मुश्किल की घडी में अपना बोझ बांटते हैं और एक दूसरे की उपलब्धियों पर खुशियां मनाते हैं.” उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष नेपाल में भारत द्वारा लागू की जा रही सभी विकास परियोजनाओं पर करीब से नजर रखने तथा समयबद्ध तरीके से उनके पूरा होने पर ध्यान केंद्रित करने पर भी रहमत हुए हैं.
वर्तमान पनबिजली परियोजनाओं का त्वरित एवं सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाएगा. नेपाल में स्थायित्व लाने की कोशिश को लेकर प्रचंड की सराहना करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि आपके नेतृत्व में नेपाल विविधतापूर्ण समाज के सभी वर्गों की आकांक्षाओं का समावेशन कर समग्र वार्ता के माध्यम सविधान को क्रियान्वित करने में सफल रहेगा.”
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने प्रचंड से कहा है कि भारत नेपाल के साथ विकास साझेदारी को मजबूत बनाने के लिए तैयार है. हम नेपाल की जनता और सरकार की प्राथमिकाओं के हिसाब से काम करेंगे.” नेपाल के राजनीतिक परिवर्तन के बारे में प्रचंड ने कहा कि उनकी सरकार संविधान के प्रावधानों को लागू करने में सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की ईमानदार कोशिश कर रही है.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं मोदीजी की बातों से इत्तेफाक रखता हूं कि लोकप्रिय निर्वाचित संविधान सभा द्वारा पिछले साल उद्घोषित संविधान नेपाल की जनता के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है. आप परिचित हैं कि हम संविधान को लागू करने के चरण में हैं और मेरी सरकार ने हरेक को साथ लेने की गंभीर कोशिश की है.”
अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि नेपाल और भारत के सुरक्षा हित आपस में जुडे हैं तथा दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि अपने समाजों को सुरक्षित रखना विकास के साझे उद्देश्यों को हासिल करने के लिए आवश्यक है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों की रक्षा और सुरक्षा एजेंसियों के बीच निरंतर सहयोग खुली सीमा की चौकसी के लिए महत्वपूर्ण है, खुली सीमा लोगों के बीच अंतर्संवाद का मौका प्रदान करती है.
भारत का नेपाल के साथ करीबी रिश्ता रहा है लेकिन हाल के समय मे चीन नेपाल पर अपना कुछ असर रखने की कोशिश में जुटा है. ओली ने चीन के साथ गहरा सहयोग विकसित करने का प्रयास किया था. नेपाल ने ओली के प्रधानमंत्री रहने के दौरान चीन के साथ परिवहन और पारगमन संधि की थी. वार्ता में भारतीय पक्ष ने नेपाल से स्पष्ट रुप से कहा कि वह नेपाल के साथ विकास साझेदारी मजबूत बनाने के लिए तैयार है.
भारत नेपाल का सबसे बडा व्यापारिक साझेदार है तथा दोनों पक्षों ने व्यापार एवं निवेश का और विस्तार करने पर सहमति व्यक्त की. प्रचंड चार दिवसीय भारत यात्रा पर आए कल यहां पहुंचे थे. उनका राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में रस्मी स्वागत किया गया. वह राजकीय अतिथि के रुप में राष्ट्रपति भवन में ठहरे हुए हैं.
नेपाल पिछले साल सितंबर में नये संविधान के अंगीकार करने के बाद से ही राजनीतिक संकट से जूझ रहा है. मौटे तौर पर भारतीय मूल के मधेसी नये संविधान का विरोध कर रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि देश को सात प्रांतों में विभाजन के जरिए वे हाशिये पर चले जायेंगे.
करीब पांच महीने तक चले मधेसी आंदोलन के चलते भारत के साथ लगते प्रमुख व्यापारिक मार्ग बंद हो गए थे और नेपाल में जरुरी वस्तुओं की भारी किल्लत हो गयी थी. यह आर्थिक नाकेबंदी फरवरी में खत्म हुई थी. नेपाल ने मधेसी संकट के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया था जिससे भारत ने स्पष्ट इनकार किया था. प्रचंड ने मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को शीघ्र ही नेपाल आने का न्यौता दिया.