अहमदाबाद : इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड मामले में 2004 में जांच करने वाले आईपीएस अधिकारी सतीश वर्मा ने आज यहां अदालतों में नए आवेदन दायर कर मामले से संबंधित मुकदमे में ‘‘तेजी लाने” के लिए दो आरोपपत्रों की मांग की.
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आईपीएस अधिकारी ने इशरत जहां मामले में दोबारा मांगा आरोपपत्र
अहमदाबाद : इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड मामले में 2004 में जांच करने वाले आईपीएस अधिकारी सतीश वर्मा ने आज यहां अदालतों में नए आवेदन दायर कर मामले से संबंधित मुकदमे में ‘‘तेजी लाने” के लिए दो आरोपपत्रों की मांग की. वर्मा ने सीबीआई मामलों के लिए विशेष (सत्र) न्यायाधीश और अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट […]
वर्मा ने सीबीआई मामलों के लिए विशेष (सत्र) न्यायाधीश और अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालतों में आवेदन दायर किए. दोनों आवेदनों के अगले हफ्ते सुनवाई के लिए आने की संभावना है. विशेष अदालत ने पूर्व में उनके आवेदन को खारिज कर दिया था जिसमें इस आधार पर पूरक आरोपपत्र का अवलोकन करने की मांग की गई थी कि इसने खुद उस आरोपपत्र का संज्ञान नहीं लिया था. अदालत ने हालांकि, उन्हें पहले आरोपपत्र की प्रति रखने की अनुमति दे दी जिसे सीबीआई ने गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती दी.
जून में उच्च न्यायालय ने वर्मा को इस आधार पर राहत देने से इनकार कर दिया था कि उन्होंने अपने आवेदन के साथ विस्तृत शपथपत्र दायर नहीं किया. विशेष अदालत में पहला आरोपपत्र जुलाई 2013 में दायर किया गया था और पूरक आरोपपत्र अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में फरवरी 2014 में दायर किया गया था. पहले आरोपपत्र में नामित लोगों…गुप्तचर ब्यूरो के चार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही इसलिए शुरु नहीं हुई क्योंकि विधि मंत्रालय ने मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी है.
वर्मा ने कहा है कि वह आरोपपत्रों तक पहुंच चाहते हैं क्योंकि वह मुकदमे में तेजी चाहते हैं और अनुमति न मिलने को चुनौती देना चाहते हैं. उन्नीस वर्षीय इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लै, अमजदअली अकबरअली राणा और जीशान जौहर 15 जून 2004 को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में पुलिस के साथ कथित फर्जी मुठभेड में मारे गए थे. पहले आरोपपत्र में आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा सहित गुजरात पुलिस के सात अधिकारियों का नाम था.
गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी वर्मा अब पूर्वोत्तर में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. वह इशरत जहां मामले की जांच के लिए उच्च न्यायालय द्वारा गठित की गई एसआईटी के सदस्य थे. एसआईटी ने इसे फर्जी मुठभेड बताया था जिसके बाद उच्च न्यायालय ने मामला सीबीआई को सौंप दिया था. वर्मा ने जांच में सीबीआई की मदद की थी.
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