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एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियर बन दें कैरियर को नयी उड़ान

प्रीति सिंह परिहार केंद्र सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत विदेशी निवेश के लिए जिन क्षेत्रों को चुना है, उनमें एविएशन सेक्टर भी शामिल है. निवेश बढ़ेगा, तो नयी एयरलाइंस आयेंगी, अधिक हवाई मार्ग खोले जायेंगे. विमानों की संख्या बढ़ेगी, तो जाहिर है उनके रख-रखाव के लिए एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियर (एएमइ) की मांग […]

प्रीति सिंह परिहार
केंद्र सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत विदेशी निवेश के लिए जिन क्षेत्रों को चुना है, उनमें एविएशन सेक्टर भी शामिल है. निवेश बढ़ेगा, तो नयी एयरलाइंस आयेंगी, अधिक हवाई मार्ग खोले जायेंगे. विमानों की संख्या बढ़ेगी, तो जाहिर है उनके रख-रखाव के लिए एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियर (एएमइ) की मांग भी बढ़ेगी. यानी एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियरिंग में जाॅब की संभावनाएं भी लगातार बढ़नेवाली हैं. आप भी चुन सकते हैं एएमइ के तौर पर कैरियर…
मौजूदा समय में एविएशन सेक्टर तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है. देश में पहली बार आयोजित ग्लोबल एयरपोर्ट डेवलपमेंट (गेड) एशिया सम्मेलन एविएशन सेक्टर के विकास की तसदीक करता है. केंद्र सरकार पहले से ही छोटे शहरों को भी हवाई मार्ग से जोड़ने की जरूरत जता चुकी है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक कार्यक्रम में कहा था कि देश में 25 नये छोटे एयरपोर्ट की जरूरत महसूस की जा रही है. जाहिर है एविएशन सेक्टर के विस्तार के साथ इस क्षेत्र में नयी नौकरियां भी आयेंगी. एविएशन सेक्टर का एक महत्ववूर्ण हिस्सा है एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियरिंग, जो विमानों के रख-रखाव से जुड़ा कार्य है. इसमें अहम भूमिका निभाते हैं- एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियर. यदि आप एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कैरियर बनाना चाहते हैं, तो बेहिचक संभावनाओं से भरे इस क्षेत्र को चुन सकते हैं.
क्या है एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियरिंग
एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियरिंग डिग्री या डिप्लोमा कोर्स नहीं है, यह एक ट्रेनिंग प्रोग्राम है. इस ट्रेनिंग प्रोग्राम काे पूरा करने पर डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय)(डीजीसीए) की ओर से लाइसेंस जारी किया जाता है. यह ट्रेनिंग प्रोग्राम डीजीसीए अप्रूव्ड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से कराया जाता है. इस प्रोग्राम को पूरा करने के बाद डीजीसीए से प्राप्त लाइसेंस एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियर के रूप में कैरियर की राह बनाता है.
देश में घरेलू विमानन कंपनियों एवं अंतरराष्ट्रीय एयरलाइनों का एक विशाल नेटवर्क संचालित होता है. एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियरिंग की ट्रेनिंग के दौरान विमान की मरम्मत और रख-रखाव का प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि हर उड़ान की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियरिंग लाइसेंस ट्रेनिंग कोर्स तीन वर्ष का होता है. डीजीसीए से मान्यता प्राप्त कई इंस्टीट्यूट यह कोर्स कराते हैं.
कौन कर सकते हैं कोर्स
फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स के साथ कम से कम 50 प्रतिशत अंकों में 12वीं पास करने के बाद तीन वर्षीय डिप्लोमा कोर्स (इंजीनियरिंग में) या बीएससी करनेवाले अभ्यर्थी इस ट्रेनिंग कोर्स में शामिल हो सकते हैं.
एएमइ की राह बनती है ऐसे
एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियर (एएमइ) बनने के लिए आपको नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से लाइसेंस हासिल करना होगा. एएमइ (ऐसोसिएट मेंबरशिप एग्जाम) सर्टिफिकेशन किसी तरह की डिग्री नहीं, बल्कि विमान के रख-रखाव पर केंद्रित विशेष लाइसेंस प्रोग्राम है, जो सिर्फ डीजीसीए (www.dgca.nic.in) से मान्यता प्राप्त इंस्टीट्यूट में संचालित होता है.
इस प्रोग्राम को पूरा करने के बाद अभ्यर्थी एएमइ एग्जाम के लिए तैयार हो जाते हैं, जिसका आयोजन एयरोनॉटिकल सोसायटी ऑफ इंडिया (www.aesi.org) करता है. एएमइ एग्जाम की अहमियत को आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि डीजीसीए इस इंटरनल एग्जाम (सेक्शन ए एवं बी) काे पास करने पर एएमइ लाइसेंस जारी करता है, जो कि किसी भारतीय यूनिवर्सिटी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बीइ/ बीटेक के बराबर माना जाता है.
इस परीक्षा के सेक्शन-ए के लिए न्यूनतम योग्यता फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स में 10+2 पास है और ऊपरी आयु सीमा 23 वर्ष, ताकि 3 वर्षीय इंजीनियरिंग डिप्लोमा करनेवाले एवं साइंस में ग्रेजुएट भी प्रवेश ले सकें.
तीन वर्ष के ट्रेनिंग प्रोग्राम में एक वर्ष यानी दो सेमेस्टर पूरा होने पर एएमइ लाइसेंस एग्जाम का बेसिक पेपर-I दे सकते हैं. सेकेंड इयर में पेपर-II एवं एयरफ्रेम/ इंजन/ डीआर पूरा होने पर यानी पांचवें सेमेस्टर में पेपर III दे सकते हैं. ये तीनों पेपर क्लियर करने पर डीजीसीए से बेसिक एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियर सर्टिफिकेट (बीएएमइसी) मिलेगा, जो आपको एविएशन इंडस्ट्री में नौकरी का पात्र बनायेगा.
इस कोर्स में तकरीबन 18 टॉपिक को शामिल किया गया है. इसमें एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस से जुड़े फ्लाइट एयरोडाइनेमिक्स, वर्कशॉप टेक्नोलॉजी, मेटालर्जी/ इलेक्ट्रिसिटी, इलेक्ट्रॉनिक्स/ जेट इंजीनियरिंग अादि टॉपिक हैं. इसके साथ ही जटिल उपकरणों के मेंटिनेंस की ट्रेनिंग, जैसे रेडियो एक्यूपमेंट, एविएशन डायरेक्शन फाइंडर, रेडियल और लाइन इंजन भी कोर्स में शामिल हैं. इसके विकल्प के तौर पर रेगुलर इंजीनियरिंग काॅलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बीइ/ बीटेक को चुन सकते हैं.
यहां मिलेंगे मौके
यदि आप सफलता पूर्वक ट्रेनिंग के बाद डीजीसीए से लाइसेंस प्राप्त कर लेते हैं, तो आकर्षक वेतन के साथ एयरपोर्ट एवं एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग या मेंटिनेंस फर्म में नौकरी पाने के लिए पात्र हो जायेंगे. प्राइवेट सेक्टर की भी बहुत सी विमान सेवाएं शुरू हुई हैं, इनमें भी विमान के रख-रखाव के लिए एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियर एवं मेकेनिक की मांग बढ़ेगी.

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