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भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक कल, गुजरात के मुख्यमंत्री के नाम पर हो सकता है फैसला

नयी दिल्ली: भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक कल होगी जिस दौरान संभावना है कि गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे की पेशकश स्वीकार कर ली जाएगी और उनके उत्तराधिकारी चुनने की प्रक्रिया शुरू होगी.भाजपा के सूत्रों ने बताया कि आनंदीबेन पटेल का उत्तराधिकारी एक सप्ताह के भीतर पदभार संभाल लेगा और पार्टी अध्यक्ष अमित […]

नयी दिल्ली: भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक कल होगी जिस दौरान संभावना है कि गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे की पेशकश स्वीकार कर ली जाएगी और उनके उत्तराधिकारी चुनने की प्रक्रिया शुरू होगी.भाजपा के सूत्रों ने बताया कि आनंदीबेन पटेल का उत्तराधिकारी एक सप्ताह के भीतर पदभार संभाल लेगा और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह राज्य में सत्ता हस्तांतरण की देखरेख के लिए अहमदाबाद जा सकते हैं. गुजरात लंबे समय से भाजपा का गढ़ रहा है लेकिन पार्टी राजनीतिक रुप से प्रभावशाली पटेलों के आरक्षण आंदोलन और वर्तमान में दलित आंदोलन को लेकर गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है.

भाजपा के शीर्ष सूत्र गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री के उत्तराधिकारी के बारे में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं लेकिन राज्य मंत्रिमंडल में नम्बर दो नितिन पटेल और गुजरात भाजपा प्रमुख विजय रुपानी को इसके प्रमुख दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है.
नितिन पटेल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र हैं. गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में पटेल मंत्री के तौर पर काम कर चुके हैं तथा प्रभावशाली पाटीदार समुदाय से आते हैं. पाटीदार समुदाय पारंपरिक रुप से भाजपा समर्थक रहा है. यद्यपि पाटीदार समुदाय अपने आरक्षण आंदोलन से निपटने के तरीके को लेकर भाजपा से नाराज है.
रुपानी शाह के विश्वासपात्र हैं और उन्हें पार्टी के भीतर भी समर्थन हासिल है. यद्यपि वह जैन समुदाय से आते हैं और यह समुदाय गुजरात में संख्यानुसार बहुत कम है.केंद्रीय मंत्री एवं जमीनी स्तर के नेता पुरुषोत्तम रुपाला और प्रदेश पार्टी महासचिव भीखूभाई दलसाणिया को भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों के तौर पर देखा जा रहा है.
अटकलें इस बात की भी लगायी जा रही हैं कि गुजरात से विधायक शाह आनंदीबेन की जगह मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं. शाह 2014 में मोदी की जगह गुजरात का मुख्यमंत्री बनने की दौड में भी शामिल थे.ऐसे कई लोग हैं जो शाह को इस जिम्मेदारी के लिए बिल्कुल उपयुक्त मानते हैं जब पार्टी राज्य में एक चुनौतीपूर्ण स्थिति में है और जहां अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने वाला है. ऐसे लोगों का मानना है कि शाह के मुख्यमंत्री बनने से पार्टी को असंतुष्ट समुदायों का दिल जीतने में मदद मिलेगी.
शाह ने पूर्व में इस पद के लिए स्वयं का नाम यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वह आगे बढ गए हैं और वह राष्ट्रीय स्तर पर काम करना चाहते हैं. शाह को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी की संभावनाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है जहां उन्होंने लोकसभा चुनाव में पार्टी को शानदार सफलता दिलायी थी. आनंदीबेन पटेल ने कल यह कहते हुए इस्तीफे की पेशकश की थी कि अब नये चेहरे के राज्य की सत्ता संभालने का समय आ गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि वह जल्द ही 75 वर्ष की होने वाली हैं और इसे पार्टी में मंत्रिपद संभालने के लिए अघोषित आयु सीमा माना जाता है.

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