नयी दिल्ली : कानून की एक इंटर्न महिला के यौन उत्पीड़न के आरोप का सामना कर रहे उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए के गांगुली को पश्चिम बंगाल के मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने के मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आज केंद्रीय कानून मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श शुरु कर दिया. चौतरफा मांग हो रही है कि गांगुली को उनके मौजूदा पद से हटाया जाए.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पिछले हफ्ते एक पत्र लिखकर गांगुली के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गयी थी. राष्ट्रपति द्वारा गृह मंत्रालय को ममता का लिखा यह पत्र भेजे जाने के बाद विचार-विमर्श का दौर शुरु हुआ है.
यदि कानूनी राय मिलती है कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है तो सरकार उच्चतम न्यायालय से कह सकती है कि वह गांगुली के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए एक समिति गठित करे और अपनी सिफारिशें दे. सरकार इस मुद्दे पर भी विचार करेगी कि क्या गांगुली के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा आपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है.ममता ने गांगुली को पश्चिम बंगाल के मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की है.
गांगुली साल 2012 में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश पद से सेवानिवृत हुए थे. उन्होंने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को सिरे से नकारा है.उच्चतम न्यायालय की जांच रिपोर्ट को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति के आदेश से राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष को उसके पद से हटाया जा सकता है.
गांगुली ने एनसीडब्ल्यू से चार सप्ताह का वक्त मांगा
यौन उत्पीड़न के आरोपों के मद्देनजर इस्तीफा देने को लेकर दबाव बढ़ने के बीच पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए के गांगुली ने राष्ट्रीय महिला आयोग को जवाब देने के लिए चार सप्ताह का वक्त देने की मांग की. महिला आयोग ने उनसे अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा था.
एनसीडब्ल्यू सदस्य निर्मला सामंत प्रभावल्कर ने कहा, ‘‘न्यायमूर्ति गांगुली ने मामले से संबंधित सारे दस्तावेजों को एकत्र करने की आवश्यकता का हवाला देते हुए चार सप्ताह का समय मांगा है.’’आयोग ने मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था और छह दिसंबर को न्यायमूर्ति गांगुली को नोटिस भेजकर उनसे उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय समिति द्वारा दोषारोपित किए जाने पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा था. न्यायमूर्ति गांगुली पर एक लॉ इंटर्न का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है.
न्यायमूर्ति गांगुली ने फिर किया इस्तीफे से इंकार
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए के गांगुली ने आज फिर पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से अपने इस्तीफे के मुद्दे को लेकर बेपरवाही जाहिर की. गांगुली ने एक बार फिर इन आरोपों को नकारा कि उन्होंने कानून की इंटर्न महिला का यौन उत्पीड़न किया था. यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को अब भी नकारते हैं, इस पर गांगुली ने फोन पर बताया, ‘‘मैंने इससे इंकार किया है. मैं इससे ज्यादा क्या कहूंगा.’’
राज्यसभा में आज तृणमूल कांग्रेस के सांसदों द्वारा पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से गांगुली को हटाने की मांग के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘संसदीय कार्यवाहियों पर मैं कैसे टिप्पणी कर सकता हूं ?’’ अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों और पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफे की चौतरफा मांग के बावजूद गांगुली ने कहा, ‘‘मैं अब कुछ नहीं बोलूंगा.’’
गौरतलब है कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह सहित विभिन्न तबकों के लोग पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से गांगुली के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. अपने घर के बाहर मौजूद मीडियाकर्मियों द्वारा इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर गांगुली ने गुस्से में कहा,‘‘इससे आपका कोई लेना-देना नहीं है.’’ इस मामले को आगे ले जाने पर भी गांगुली ने कुछ ऐसा ही जवाब दिया.गौरतलब है कि महिला इंटर्न की शिकायत की जांच के लिए बनी उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय समिति ने गांगुली को पिछले साल 24 दिसंबर को दिल्ली के एक होटल में ‘‘अभद्र बर्ताव’’ और ‘‘यौन प्रकृति के व्यवहार’’ का दोषी माना था.