नयी दिल्लीः भाजपा को दिल्ली में सरकार बनाने का मौका मिला जिसे उन्होंने ठुकरा दिया है. हर्षवर्धन ने कहा, सबसे बड़े दल के नेता होने के नाते आज मुझे उपराज्यपाल ने सरकार गठन का न्यौता दिया था. चुंकि हमारे पास बहुमत नहीं है इसलिये हम सरकार गठन का न्यौता ठुकराते है. हमारे लिये राजनीति सेवा का माध्यम है हम विपक्ष में रहकर भी जनता की सेवा कर सकते हैं. हम खरीद फरोख्त और तोड़फोड़ की राजनीति नहीं करना चाहते. दिल्ली में अगर कोई भी पार्टी सरकार बनाती है तो उसे सात दिनों के अंदर बहुमत साबित करना होगा. हर्षवर्धन ने कहा कि दुबारा चुनाव के आसार नजर आ रहे हैं. आप के समर्थन पर उन्होंने कहा कि हम जनता की भलाई के लिये कुछ भी करने को तैयार है.
गौरतलब है कि हर्षवर्धन उपराज्यपाल से मिलने पहुंचे थे. हालांकि भाजपा ने यह पहले ही कहा है कि हम सरकार बनाने के पक्ष में नहीं है. गौरतलब है कि दिल्ली में सरकार गठन के लिये भाजपा और आप दोनों को ही आवश्यक सीट हासिल नहीं हो सका है.
भाजपा और आप दोनों पार्टियां एकदूसरे के समर्थन से सरकार बनाने के पक्ष में भी नहीं है. आप सरकार गठन के मुद्दे पर पहले से कह रही है कि सत्ता पाने के लिये वो ना तो किसी को समर्थन देगी और ना समर्थन लेगी.इससे पहले आज सरकार गठन में गतिरोध को दूर करने की कोशिश के तहत दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और विधानसभा में सबसे बड़े दल के नेता हर्षवर्धन से इस विषय पर चर्चा करने के लिए उन्हें फोन किया. यह अंदेशा है कि हर्षवर्धन कह सकते हैं कि सरकार बनाने के लिए उनके पास पर्याप्त संख्या नहीं है.
जंग ने फोन पर वर्धन से बातचीत की और उनसे कहा कि वह सरकार गठन के विषय पर उनसे चर्चा करना चाहते हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव ने खंडित जनादेश दिया है. सत्तर सदस्यीय विधानसभा में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला है. भाजपा 31 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रुप में उभरी है और उसके सहयोगी दल शिअद के पास एक सीट है.
आम आदमी पार्टी (आप) को विधानसभा में 28 सीटें मिली है जबकि कांग्रेस आठ सीटों पर सिमट गयी है. जदयू एक सीट पर विजयी रही जबकि मुंडका सीट निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गयी. हर्षवर्धन ने बताया कि उन्होंने उपराज्यपाल से कहा है कि वह कल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने रायपुर जा रहे हैं और कल शाम तक दिल्ली लौटने के बाद उनसे मिल पायेंगे.
हर्षवर्धन ने अपनी पार्टी का यह रुख दोहराया कि सरकार बनाने के लिए उसके पास पर्याप्त संख्या बल नहीं है जबकि आप के नेता अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की कि उनकी पार्टी फिर से चुनाव का सामना करने को तरजीह देगी. उधर, उपराज्यपाल अगले कदम की संभावना पर गौर करने के लिए विशेषज्ञों से राय मशविरा करते रहे. सूत्रों ने बताया कि दोनों दलों द्वारा अपना अपना रुख सार्वजनिक कर दिए जाने के बाद उपराज्यपाल सभी विकल्पों पर गौर कर रहे हैं.