कोलकाता : उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अशोक कुमार गांगुली ने कानून की इंटर्न छात्र द्वारा कथित यौन उत्पीड़न की शिकायत के मामले में तीन न्यायाधीशों की उच्चतम न्यायालय की समिति द्वारा उन्हें दोषारोपित किये जाने की खबरों पर आज टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
जब पत्रकारों ने गांगुली से उच्चतम न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की समिति द्वारा दोषारोपण किये जाने पर प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं कुछ नहीं कहूंगा.’’ समिति ने कहा कि इंटर्न का बयान प्रथमदृष्टया अप्रिय रवैये की ओर इशारा करता है. पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष गांगुली ने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि उच्चतम न्यायालय ने क्या कहा है. मैं कोई टिप्पणी नहीं करंगा.’’ गांगुली ने इंटर्न के इन आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया कि उन्होंने पिछले साल दिसंबर में दिल्ली के एक पांच-सितारा होटल के कमरे में लड़की का यौन उत्पीड़न किया था.
गांगुली ने कहा था, ‘‘मैं पहले ही आरोपों को खारिज कर चुका हूं. इससे ज्यादा मैं क्या कहूं?’’ एक एनजीओ ने शहर के एक थाने में गुहार लगाई है कि गांगुली के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए.पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से गांगुली के इस्तीफे की मांगों पर पूर्व न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैंने कोई फैसला नहीं किया है. इस बारे में सोचने का समय नहीं आया है.’’ गांगुली का इस्तीफा मांगने वालों में भाजपा नेता सुषमा स्वराज और तृणमूल कांग्रेस के कुछ सांसद भी हैं.