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2015 में एफटीआईआई, सेंसर बोर्ड के मामलों में उलझा रहा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय

नयी दिल्ली : सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के लिए वर्ष 2015 विवादों का साल रहा. मंत्रालय को इस साल एफटीआईआई, सेंसर बोर्ड और नियुक्तियों संबंधी मामलों जैसे कई विवादों का सामना करना पडा. हालांकि मंत्रालय ने इस वर्ष निजी रेडियो नीलामी के सफल दौर का आयोजन किया और इसी साल डी डी किसान की भी […]

नयी दिल्ली : सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के लिए वर्ष 2015 विवादों का साल रहा. मंत्रालय को इस साल एफटीआईआई, सेंसर बोर्ड और नियुक्तियों संबंधी मामलों जैसे कई विवादों का सामना करना पडा. हालांकि मंत्रालय ने इस वर्ष निजी रेडियो नीलामी के सफल दौर का आयोजन किया और इसी साल डी डी किसान की भी शुरुआत की गई. केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की तत्कालीन प्रमुख लीला सैमसन ने जनवरी में मंत्रालय पर हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया और अपना इस्तीफा दे दिया। इसके बाद एक बडा विवाद खडा हो गया और बोर्ड के कई अन्य सदस्यों ने भी लीला का अनुकरण किया. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली को हस्तक्षेप करना पडा और उन्होंने जोर देकर कहा कि राजग सरकार फिल्म प्रमाणन संबंधी मामलों से दूरी बनाकर रखती है.

मंत्रालय ने लीला का इस्तीफा स्वीकार कर उनकी जगह पहलाज निहलानी को नियुक्त किया। निहलानी भी विवादों से अछूते नहीं रह पाए। उन्होंने कार्यभार संभालने के बाद प्रतिबंधित आपत्तिजनक शब्दों की एक सूची वितरित की जिसका सीबीएफसी के सदस्यों समेत कई लोगों ने विरोध किया। बोर्ड के कई सदस्यों ने निहलानी के कार्य करने के तरीके पर नाखुशी जाहिर की. इस बीच, मंत्रालय ने जून में एक और नियुक्ति की जिसके कारण भारी हंगामा हुआ. अभिनेता गजेंद्र चौहान को एफटीआईआई सोसाइटी का अध्यक्ष नामित किए जाने का भारी विरोध हुआ.

एफटीआईआई के छात्र हडताल पर चले गए और संस्थान के तीन सदस्यों संतोष सिवान, जाहनू बरुआ और पल्लवी जोशी ने भी इस्तीफा दे दिया. छात्रों और मंत्रालय के बीच कई दौर की वार्ता हुई। एफटीआईआई के निदेशक प्रशांत पाथराबे का घेराव करने के कारण पांच छात्रों को गिरफ्तार किए जाने के बाद गतिरोध और बढ गया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने छात्रों की मांग के समर्थन में एफटीआईआई परिसर का दौरा किया. छात्रों ने चार महीने बाद अपनी हडताल समाप्त की लेकिन विरोध अब भी जारी है और चौहान ने अध्यक्ष नामित किए जाने के बाद से अभी तक संस्थान का दौरा नहीं किया है.

मंत्रालय उस समय एक और विवाद में घिर गया जब उसने डीडी न्यूज की महानिदेशक के तौर पर वरिष्ठ सूचना सेवा अधिकारी वीणा जैन के नियुक्ति आदेश में कहा कि वह ‘‘ सभी कार्यों के लिए मंत्रालय को रिपोर्ट करेंगी.” इस आदेश ने सार्वजनिक प्रसारक की स्वायत्तता के विषय पर बहस छेड दी और मंत्रालय को अपने आदेश में सुधार कर यह कहना पडा कि वीणा जैन ‘‘सभी परिचालन कार्यों” के लिए प्रसार भारती और ओएसडी के तौर पर मंत्रालय को रिपोर्ट करेंगी.

इस वर्ष ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आकाशवाणी पर संयुक्त रुप से लोगों को संबोधित किया. मोदी ने 26 मई को डी डी किसान चैनल की शुरुआत की. इसके अलावा चरण 3 एफएम निजी रेडियो चैनलों के पहले बैच की ई-नीलामी की गई. इसी वर्ष मंत्रालय ने टीवी चैनलों के लिए एक नया नियम बनाया कि वे आतंकवाद रोधी अभियानों का सीधा प्रसारण नहीं कर सकते। सरकार ने भारत का बार बार गलत नक्शा दिखाने पर अंतरराष्ट्रीय समाचार चैनल अल जजीरा को दंडित किया और उसे पांच दिन के लिए देश में प्रसारण बंद करने पर मजबूर होना पडा.

वर्ष के समाप्त होने पर मंत्रालय अब अपनी महत्वाकांक्षी डिजिटलीकरण मुहिम के तीसरे चरण को लागू करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जिसके तहत उन सभी शहरी क्षेत्रों को कवर किया जाएगा जिन्हें पहले और दूसरे चरण में कवर नहीं किया गया था. तीसरे चरण के लिए निर्दिष्ट तिथि 31 दिसंबर है.

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