एजल : मिजोरम सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग के दर्जे से वंचित रखे जाने और मिजो जातियों के कथित सौतेले व्यवहार से परेशान राज्य का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक गोरखा समुदाय यहां 25 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग द्वारा मुहैया कराये गये नोटा विकल्प की तरफ जाने पर विचार कर रहा है.
मिजोरम गोरखा संयुक्त कार्य समिति के अध्यक्ष एच बी थापा ने यहां कहा, मिजोरम में गोरखा ओबीसी दर्जे के हकदार हैं. हम काफी लंबे अर्से से इसके लिए संघर्ष कर रहे हैं. हम केंद्र सरकार की नौकरियों हासिल करने के लिए ओबीसी दर्जा चाहते हैं. हम राज्य सरकार की नौकरियों के लिए ओबीसी दर्जा पाने के इच्छुक नहीं हैं. उन्होंने कहा, तो इस वर्ष राज्य के गोरखा अपनी पीड़ा दर्ज कराने के लिए नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) विकल्प का इस्तेमाल कर सकते हैं.
इस राज्य में करीब 25,000 गोरखा हैं, जिनमें में 9,771 पात्र मतदाता हैं. राज्य के 40 विधानसभा क्षेत्रों में से 23 में गोरखा समुदाय के लोग मौजूद हैं.एक प्रतिष्ठित गोरखा नेता महेश राय ने कहा, वर्ष 1987 के बाद से सभी राज्य सरकारों ने हमें हमारे अधिकारों से वंचित रखा है. अब अगर हमारे समुदाय ने नोटा विकल्प की तरफ जाने का निर्णय लिया है, तो यह सिर्फ उनकी उदासीनता की वजह से है. इस विकल्प के लिए हम चुनाव आयोग का शुक्रिया अदा करते हैं. अपने क्षेत्र के उम्मीदवारों से नाखुश मतदाताओं या जो किसी भी राजनीतिक दल को वोट नहीं देना चाहते हैं, उनके लिए चुनाव आयोग ने नोटा अर्थात उपरोक्त में से कोई नहीं का विकल्प दिया है.