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उच्च शिक्षा में संख्या के साथ गुणवत्ता भी होनी चाहिए:राष्ट्रपति

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सरकार को ‘‘संख्या’’ बढ़ाने के साथ ही ‘‘गुणवत्ता’’ भी सुधारने का प्रयास करना चाहिए. राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के निदेशकों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मुखर्जी ने कहा कि सरकार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर संसाधनों का […]

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सरकार को ‘‘संख्या’’ बढ़ाने के साथ ही ‘‘गुणवत्ता’’ भी सुधारने का प्रयास करना चाहिए. राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के निदेशकों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मुखर्जी ने कहा कि सरकार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर संसाधनों का निवेश कर रही है. पहली बार किसी राष्ट्रपति ने इस तरह के सम्मेलन का आयोजन किया है.

उन्होंने कहा, ‘‘संख्या बढ़ाने के प्रयास के साथ ही गुणवत्ता में सुधार का भी प्रयास होना चाहिए. हमें अपने संस्थानों को दुनिया के बेहतरीन संस्थानों की तरह बनाना चाहिए.’’ राष्ट्रपति भवन की तरफ से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘पहली बार राष्ट्रपति इस तरह के सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं जो सभी एनआईटी के विजिटर हैं.’’ मुखर्जी ने कहा कि आगामी वर्षों में भारत की सबसे बड़ी मजबूती जनसांख्यिकी विविधता होगी. राष्ट्रपति ने कहा कि आधी से अधिक आबादी 25 वर्ष से कम उम्र की है और जल्द ही विश्व में काम करने वाले उम्र वर्ग का पांचवां हिस्सा भारत में होगा.

उन्होंने कहा, ‘‘इस विविधता को हम हल्के में नहीं ले सकते. हमें अपने युवकों को आवश्यक कौशल एवं नौकरी से सुसज्जित करने की आवश्यकता है.’’ देश के मंगल मिशन को सफलतापूर्वक शुरु करने का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा तय प्रारुप को अन्य क्षेत्रों में भी आजमाया जाना चाहिए. मुखर्जी ने कहा कि मंगलयान मिशन को रवाना कर अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत द्वारा महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने के दो दिन बाद ही इस सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है.

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