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सुषमा ने अध्यादेश का समर्थन करने संबंधी दावे को किया खारिज

नयी दिल्ली : भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने सरकार ने उस दावे को ‘‘घटिया’’ और ‘‘शातिर’’ करार दिया जिसमें उसने कहा है कि उन्होंने दागी सांसदों और विधायकों पर अध्यादेश का समर्थन किया था. लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा ने ट्विटर पर श्रृंखलाबद्ध टिप्पणियों में कहा कि उन्होंने सर्वदलीय बैठक में हुई चर्चा के […]

नयी दिल्ली : भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने सरकार ने उस दावे को ‘‘घटिया’’ और ‘‘शातिर’’ करार दिया जिसमें उसने कहा है कि उन्होंने दागी सांसदों और विधायकों पर अध्यादेश का समर्थन किया था. लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा ने ट्विटर पर श्रृंखलाबद्ध टिप्पणियों में कहा कि उन्होंने सर्वदलीय बैठक में हुई चर्चा के संबंध में कथित रुप से सरकार द्वारा मीडिया को जारी जानकारी देखी है.

उन्होंने कहा, ‘‘ये सर्वदलीय बैठक का ब्योरा नहीं है. इस दस्तावेज को देखने के बाद मुझे कहना है कि सर्वदलीय बैठक में जिस बात के लिए मुझे जिम्मेदार ठहराया जा रहा है वह पूरी तरह से झूठ है.’’ केंद्रीय मंत्रियों ने दावा किया है कि भाजपा ने दागी सांसदों और विधायकों संबंधी विधेयक पर 13 अगस्त को आयोजित सर्वदलीय बैठक में सहमति जतायी थी लेकिन विधेयक जब राज्यसभा में पेश किया गया तो वह पीछे हट गई. उन्होंने कहा, ‘‘दोनों विधेयकों पर चर्चा हुई थी. मैंने जो पहले विधेयक के पक्ष में कहा, मेरा मानना है कि उसे दूसरे विधेयक के साथ जोड़ दिया गया.’’

भाजपा नेता सुषमा ने दोहराया कि उन्होंने और उनकी पार्टी ने पहले विधेयक का समर्थन किया था जो कि अदालत के उस आदेश के खिलाफ था जिसमें कहा गया था कि यदि किसी व्यक्ति को एक दिन की भी सजा होती है तो उसे चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी जाएगी ,लेकिन पार्टी दागी सांसदों और विधायकों पर प्रस्तावित विधेयक के खिलाफ थी. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने सर्वदलीय बैठक का जो ब्योरा लीक किया है वह पूरी तरह से ‘‘घटिया’’ और ‘‘शातिर’’ तरीके से जानकारी देने का मामला है. उन्होंने कहा कि विधेयक कभी भी लोकसभा में नहीं आया. उसे राज्यसभा में पेश करने के बाद स्थायी समिति को भेज दिया गया था.

भाजपा ने कल आरोप लगाया था कि सरकार यह गलत सूचना फैलाने का प्रयास कर रही है कि विपक्ष ने दागी सांसदों और विधायकों पर विधेयक का शुरु में समर्थन किया था लेकिन बाद में अपने रुख में बड़ा परिवर्तन करते हुए इस बात पर जोर दिया कि वह शुरु से ही इस कदम के खिलाफ थी. राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने भाजपा की वेबसाइट पर डाले गए एक लेख में कहा था कि पार्टी स्थिति साफ करने को बाध्य है क्योंकि संप्रग के मंत्री लोगों को ‘‘गुमराह’’ कर रहे हैं.

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