मुंबई:आइआइटी के लिए हर वर्ष आयोजित होनेवाली संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) के बाद कोचिंग संस्थान छात्रों की रैंकिंग छांटने और उन्हें भुनाने में जुट जाते हैं. अखबारों व मैगजीनों में विज्ञापन देकर ये संस्थान अपनी मार्केटिंग करते हैं, ताकि अगले वर्ष होनेवाली परीक्षा के लिए उन्हें ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थी मिल सकें. पर, इन विज्ञापनों में दिखनेवाले अधिकतर छात्र, जो आइआइटी में दाखिला लेते हैं, कोचिंग लेते ही नहीं. कम से कम 50% तो नहीं ही लेते हैं. यह कोई सर्वे नहीं है.
आइआइटी में दाखिले के दौरान दी गयी छात्रों की सूचना से यह जानकारी मिली है. संयुक्त प्रवेश परीक्षा पास कर आइआइटी में दाखिला लेनेवाले छात्रों से संस्थान में इस संबंध में सवाल किये जाते हैं. उनसे पूछा जाता है कि उन्होंने टेस्ट की तैयारी कैसे की. कोचिंग से, खुद या किसी अन्य तरीके से. छात्रों द्वारा दी गयी जानकारी बताता है कि करीब 50% ने कहीं से कोचिंग नहीं ली. हर साल यह आंकड़ाबदलता रहता है. वर्ष 2007 में 60% ने कोचिंग की मदद नहीं ली, तो 2008 में ऐसे छात्रों की संख्या सिर्फ 45% रही. इस बीच, कोचिंग संस्थानों का दावा है कि उनके यहां पढ.नेवाले छात्रों की संख्या साल-दर-साल लगातार बढ. रही है.
आइआइटी की कोचिंग चलानेवाले प्रवीण त्यागी कहते हैं कि यह आंकड़ाविश्वसनीय नहीं है. कहा, ‘मेरे छात्र यह पूछते हैं कि कोचिंग के बारे में बाहर बतायें या नहीं. हम उन्हें मना करते हैं. हमें डर है कि भविष्य में आइआइटीवाले दाखिले में उन छात्रों को प्राथमिकता न देने लगें, जिन्होंने कोचिंग नहीं ली है.’