नयी दिल्ली : दुनिया को सत्य और अहिंसा के अद्भुत प्रयोग से अभिभूत करने वाले महात्मा गांधी और इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी रोम में करीब 10 मिनट एक कार्यक्रम में साथ रहे, दोनों ने एक दूसरे को देखा लेकिन दोनों में कोई बातचीत नहीं हुई. रोम प्रवास के दौरान बापू ने मुसोलिनी के नेतृत्व वाले देश का सरकारी आतिथ्य स्वीकार नहीं किया.
24 दिसंबर 1940 को जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर को लिखे पत्र में भी बापू ने रोम यात्रा के दौरान मुसोलिनी से संबंधित कार्यक्रम में मौजूद होने का उल्लेख किया है. फ्रांसिसी इतिहासकार रोमा रोलां ने अपने यात्रा वृतांत में इसका उल्लेख करते हुए लिखा, आज छह दिसंबर 1931 और दिन सोमवार है.. महात्मा गांधी के साथ मेरी यूरोप की स्थिति पर चर्चा हो रही है. अगले दिन हमें रोम पहुंचना है.
उन्होंने लिखा, रोम के करीब पहुंच कर महात्मा गांधी ने पोप और मुसोलिनी से मिलने की इच्छा व्यक्त की. रोमा रोलां ने बापू के पोप से मुलाकात करने पर कोई आपत्ति नहीं जतायी लेकिन मुसोलिनी से महात्मा गांधी के मिलने पर उन्हें एतराज था.
लेखक रोमा हाइन्स ने सुभाष चंद्र बोस इन नाजी जर्मनी में भी महात्मा गांधी के रोम प्रवास का उल्लेख किया है. रोमा हाइन्स ने लिखा, यूरोप यात्रा के क्रम में बापू रोम आए थे. गांधी ने यहां मुसोलिनी को देखा लेकिन इनकी बात नहीं हुई. उन्होंने लिखा कि मुसोलिनी ने एक बार गांधी की प्रशंसा करते हुए उन्हें विद्वान और संत कहा था.
जलगांव स्थित गांधी अंतरराष्ट्रीय अध्ययन एवं शोध संस्थान के प्रो. योगेन्द्र यादव ने कहा कि दूसरे गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद महात्मा गांधी अपनी यूरोप यात्रा के क्रम में रोम गए थे. यहीं पर किसी कार्यक्रम में मुसोलिनी और बापू एक ही स्थान पर थे. यूरोप यात्रा के क्रम में बापू को देखकर साहित्याकार जार्ज बर्नाड शॉ अभिभूत हो गए थे.
इसके बाद एक साक्षात्कार में बर्नाड शॉ से जब बापू के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा, वह एक व्यक्ति नहीं बल्कि अद्भुत घटना (फेनोमेना) हैं. आप मुझे इस स्थिति से उबरने के लिए कुछ समय दें. पहले विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ल्याड जार्ज ने सरे में अपने फार्म हाउस में महात्मा गांधी को आमंत्रित किया था जहां इनकी तीन घंटे तक बातचीत हुई थी. इसके बाद बड़ी संख्या में उनसे मिलने के लिए कर्मचारी आए थे. सभी उनसे मिलकर अभिभूत थे.