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मसूद को 4 साल की सजा,राज्यसभा सदस्यता जाना तय

नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने भ्रष्टाचार के एक मामले में राज्यसभा सदस्य एवं कांग्रेस नेता रशीद मसूद को आज 4 साल जेल की सजा सुनायी. दागी जनप्रतिनिधियों के लिए छूट का प्रावधान खत्म करने के उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले के बाद अपनी सीट गंवाने वाले वह पहले सांसद होंगे. उच्चतम न्यायालय […]

नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने भ्रष्टाचार के एक मामले में राज्यसभा सदस्य एवं कांग्रेस नेता रशीद मसूद को आज 4 साल जेल की सजा सुनायी. दागी जनप्रतिनिधियों के लिए छूट का प्रावधान खत्म करने के उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले के बाद अपनी सीट गंवाने वाले वह पहले सांसद होंगे.

उच्चतम न्यायालय के 10 जुलाई के आदेश के कारण अयोग्यता की कगार पर खड़े 67 साल के मसूद को फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद हिरासत में ले लिया गया. विशेष सीबीआई न्यायाधीश जे पी एस मलिक ने मसूद को 1990 की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री के पद पर रहते केंद्रीय पूल से देश भर के मेडिकल कॉलेजों में त्रिपुरा को आवंटित एमबीबीएस सीटों पर जालसाजी करके अयोग्य छात्रों को नामित करने के जुर्म में उन्हें जेल की सजा सुनायी. अदालत ने मसूद पर 60,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया. उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में एक अहम फैसला दिया था जिसके तहत जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (4) को निरस्त कर दिया गया था. जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (4) के तहत पहले सांसद और विधायक दोषी ठहराए जाने के बाद तीन महीने के भीतर उंची अदालत में अपील लंबित रहने के दौरान अयोग्यता से बच सकते थे. शीर्ष न्यायालय के फैसले के बाद मसूद को दोषी करार दिया जाना और उन्हें सजा सुनाना ऐसा पहला मामला है जिस पर यह व्यवस्था लागू होगी. रांची में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने कल राजद प्रमुख एवं लोकसभा सदस्य लालू प्रसाद और जदयू सांसद जगदीश शर्मा को चारा घोटाले के एक मामले में दोषी करार दिया था. लालू और जगदीश को 3 अक्तूबर को सजा सुनायी जाएगी जिसके बाद उन पर भी अयोग्यता का खतरा मंडराने लगेगा.

मसूद के अलावा, अदालत ने दो नौकरशाहों को भी 4 साल जेल की सजा सुनायी है जिसमें पूर्व आईपीएस अधिकारी गुरदयाल सिंह और सेवानिवृत आईएएस अधिकारी अमल कुमार रॉय शामिल हैं. अमल कुमार रॉय त्रिपुरा के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुधीर रंजन मजुमदार के तत्कालीन सचिव थे.कांग्रेस नेता मसूद को भ्रष्टाचार निरोधक कानून, आईपीसी की धारा-120 (बी) (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी)और 468 (फर्जीवाड़ा) के तहत किए गए अपराधों का दोषी करार दिया गया. बहरहाल, आईपीसी की धारा 471 (फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल सही दस्तावेज की तरह करना) के मामले में उन्हें आरोपमुक्त कर दिया गया. इस मामले में नौ छात्रों को भी दोषी ठहराने वाली अदालत ने उन सभी को एक-एक साल जेल की सजा सुनायी. अदालत ने गुरदयाल सिंह पर 1.5 लाख रुपए, अमल कुमार रॉय पर 1 लाख रुपए और सभी नौ छात्रों पर 40-40 हजार रुपए का जुर्माना लगाया. खचाखच भरे अदालत के कमरे में सजा सुनाये जाते ही न्यायाधीश ने सभी दोषियों को हिरासत में लेने का आदेश दिया.

सभी नौ छात्रों ने जमानत अर्जी दाखिल की है ताकि वे खुद को दोषी ठहराए जाने के फैसले और दी गयी सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील कर सकें.मेडिकल कॉलेजों में जालसाजी कर दाखिला पाने वाले इन छात्रों को धोखाधड़ी का दोषी करार दिया गया है. दोषी छात्रों में से दो तो घटना के वक्त नाबालिग थे जिनमें से एक मसूद का भतीजा है. नाबालिगों के मामले को 25 जनवरी 2007 को किशोर न्याय बोर्ड में भेज दिया गया था.

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