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खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने में राज्यों को पूरा सहयोग देगा केंद्र:प्रधानमंत्री

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वायदा किया कि खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्यों को सभी आवश्यक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी.सिंह ने गुजरात के बनासकांठा से देशव्यापी भ्रमण पर निकले किसानों के समूह के यहां पंहुचने पर उन्हें संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ कृषि विकास की बुनियादी जिम्मेदारी तो राज्य सरकारों की है […]

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वायदा किया कि खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्यों को सभी आवश्यक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी.सिंह ने गुजरात के बनासकांठा से देशव्यापी भ्रमण पर निकले किसानों के समूह के यहां पंहुचने पर उन्हें संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ कृषि विकास की बुनियादी जिम्मेदारी तो राज्य सरकारों की है लेकिन हम उन्हें पूरा पूरा सहयोग देते रहे हैं और देते रहेंगे. 12वीं पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र के लिए 11वीं योजना के मुकाबले दोगुनी राशि का प्रावधान किया गया है. हमने पक्का इरादा कर रखा है कि हम अपने किसानों को अच्छी तकनीक और अन्य सुविधाओं का लाभ उपलब्ध कराएंगे. ’’प्रधानमंत्री ने यह बात संसद द्वारा पारित ऐतिहासिक खाद्य सुरक्षा विधेयक को राष्ट्रपति द्वारा भी अनुमति मिल जाने के एक दिन बाद कही है. इस विधेयक में देश की 67 प्रतिशत आबादी को बहुत ही सस्ते दाम में अनाज देने का प्रावधान है.

उन्होंने कहा, ‘‘आपकी : किसानों : मेहनत और लगन की बुनियाद पर ही हमारी संसद ने अभी हाल ही में खाद्य सुरक्षा बिल मंजूर किया है.’’सिंह ने संसद द्वारा भूमि अधिग्रहण के संबंध में पारित अन्य महत्वपूर्ण विधेयक का भी हवाला देते हुए कहा, ‘‘इसे पास करके किसानों के फायदे के लिए बहुत बड़ा कदम उठाया गया है.’’ किसानों की मेहनत की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि 2007-08 में हमारे देश में फलों और सब्जियों की पैदावार 194 मिलियन टन थी जो 2011-12 में बढ़ कर 233 मिलियन टन हो गई. उन्होंने कहा कि कपास की पैदावार में भी देश को उल्लेखनीय सफलता मिली है.प्रधानमंत्री ने गुजरात से आए किसानों से कहा कि देश की बढ़ती हुई आबादी के लिए अनाज और दूसरी फसलों की पैदावार बढ़ाना एक चुनौती भरा काम है, खास तौर पर इसलिए भी कि देश के बड़े हिस्से में खेतीबाड़ी का काम अभी भी मानसून पर निर्भर है. उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में बढ़ी हुई मांग की वजह से किसानों को भूमि, जल और मजदूरी की उपलब्धता की समस्या का सामना भी करना पड़ रहा है. साथ ही किसानों के सामने मौसम के बदलाव की चुनौती भी है.

सिंह ने किसानों की सराहना करते हुए कहा, ‘‘ कठिन हालात के बावजूद हमारे देश के किसान भाई-बहनों ने पैदावार और निर्यात की रिकार्ड उंचाइयां हासिल की हैं. आपकी मेहनत और लगन की बुनियाद पर ही हमारी संसद ने हाल में खाद्य सुरक्षा विधेयक को मंजूरी दी है.’’ अपने भाषण में उन्होंने कहा कि देश के किसानों की मेहनत और सरकार की कोशिशों के नतीजे में हमारी कृषि पैदावार, खासकर अनाजों, फलों और सब्जियों की पैदावार पिछले पांच साल के दौरान लगातार बढ़ी है. 2011-12 में 259 मिलियन टन अनाज की रिकार्ड पैदावार दर्ज की गई. गेहूं और चावल की पैदावार भी इस अवधि में रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई.

उन्होंने कहा कि देश के कुछ हिस्सों में सूखे की स्थिति के बावजूद 2012-13 में अनाज की पैदावार 255 मिलियन टन होने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से एक स्तर पर ठहरी हुई दालों की पैदावार बढ़ी है. 2006-07 में दलहन का 14 मिलियन टन उत्पादन हुआ था जो 2011-12 में 17 मिलियन टन हो गया और 2012-13 में यह 18.45 मिलियन टन के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है.

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