नयी दिल्ली : पिछले साल 16 दिसंबर को हुए सामूहिक बलात्कार एवं हत्या के जुर्म में दोषी ठहराये गये चार मुजरिमों को त्वरित अदालत 13 सितंबर को सजा सुनायेगी. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना ने आज इस मामले में दोषियों की सजा के बारे में अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद कहा कि 13 सितंबर को इस पर फैसला सुनाया जायेगा. अभियोजन ने चारों अपराधियों के लिए मृत्युदंड की मांग की है.
दिल्ली पुलिस ने 23 वर्षीय लड़की के सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के चारों दोषियों को मौत की सजा देने की मांग की है. अभियोजन की ओर से विशेष सरकारी वकील दायन कृष्णन ने कहा कि मुकेश (26), विनय कुमार (20), पवन गुप्ता (19) और अक्षय ठाकुर (28) को मृत्युदंड दिया जाना चाहिए क्योंकि यह मामला दुर्लभतम मामलों के वर्ग में आता है.
इस बीच बचाव पक्ष के वकीलों ने अपराधियों की सजा में नरमी बरते जाने की अपील की और कहा कि इस प्रकार के मामले में आजीवन कारावास की सजा का नियम है जबकि मृत्युदंड एक अपवाद है.
उन्होंने कहा, ‘‘ अधिकतम सजा दी जानी चाहिए. अदालत को यह देखना चाहिए कि उन्होंने एक असहाय लड़की का बलात्कार किया और उसकी हत्या की है जो अपने जीवन के लिए गुहार लगाती रही.’’ अभियोजन पक्ष ने कहा कि इस मामले पर लोगों की नजरें टिकी हैं और यदि दोषियों को कम सजा दी जाती है तो लोगों का न्यायिक प्रणाली पर से विश्वास ही उठ जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘‘ यह एक युवा लड़की के यौन उत्पीड़न और बर्बरता की अति का मामला है. इस प्रकार के वीभत्स हमले और सामूहिक बलात्कार के बाद दोषी जीवित नहीं रह सकते. लड़की की आंतों को जानबूझकर कर क्षति पहुंचाने का कृत्य सहानुभूति की कोई गुजाइंश नहीं छोड़ता.’’ अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के एक आदेशानुसार यदि सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या हो तो इसकी सजा मृत्युदंड होनी चाहिए.
सजा के मामले पर सुनवाई शुरु होते ही दोषी मुकेश ने गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करने संबंधी याचिका दायर की. मुकेश ने यह याचिका शिंदे के उस कथित बयान के कारण दायर की जिसमें उन्होंने कहा था कि चारों दोषियों की मौत निश्चित है.
अदालत ने 237 पन्ने के अपने फैसले में कल मुकेश, विनय , पवन और अक्षय को दोषी ठहराया था. इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था. इस मामले में पकड़े गए राम सिंह ने मार्च में तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी. छठा दोषी घटना के वक्त किशोर था और उसे सुधार गृह में अधिकतम तीन साल की सजा काटनी होगी.