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मौत के 45 साल बाद होगी अंत्येष्टि

संस्कार 1968 में विमान दुर्घटना में लापता फौजी का शव मिलारेवाड़ी:मौत के 45 साल बाद सेना के एक हवलदार का अंतिम संस्कार हो सकेगा. लेह में 1968 में एक विमान दुर्घटना के दौरान लापता हुए 98 जवानों की तलाश के दौरान रेवाड़ी के मीरपुर गांव के हवलदार जगमाल सिंह का शव बरामद हुआ है. एक-दो […]

संस्कार 1968 में विमान दुर्घटना में लापता फौजी का शव मिला
रेवाड़ी:मौत के 45 साल बाद सेना के एक हवलदार का अंतिम संस्कार हो सकेगा. लेह में 1968 में एक विमान दुर्घटना के दौरान लापता हुए 98 जवानों की तलाश के दौरान रेवाड़ी के मीरपुर गांव के हवलदार जगमाल सिंह का शव बरामद हुआ है. एक-दो दिन में सम्मान के साथ जगमाल सिंह के शव को उनके पैतृक गांव में लाया जायेगा. करीब 45 साल बाद अंतिम संस्कार होने के बाद उनकी राख को उनके गांव की माटी में मिलने का सौभाग्य प्राप्त होगा. इससे पहले तक उनके परिवार वालों के मन में यही टीस थी कि वे अपने फौजी का अंतिम संस्कार भी नहीं कर पाये. शुक्र वार को सेना के जवान उनके घर पर यह सूचना लेकर आये. हवलदार जगमाल सिंह को सिल्वर मेडल, उनकी जेब से मिली जीवन बीमा पॉलिसी और परिवार के एक खत से पहचाना गया है.

यूं हुआ था विमान हादसा

वेस्टर्न कमांड के एक अधिकारी ने बताया कि सात फरवरी 1968 में सुबह चंडीगढ़ से एन-12 विमान लेह जाने के लिए सेना के 92 और छह एयरफोर्स के जवानों को लेकर उड़ा था. विमान के चालक फ्लाइट ले एचके सिंह ने मौसम खराब होने के कारण विमान को वापिस मोड़ा था, लेकिन विमान के चालक का रोहतांग के पास संपर्क टूट गया था. 2003 तक जवानों का लापता होना एक पहेली बनी रही. इसके बाद पर्वतारोही दल को अचानक विमान के पुर्जे ढाका ग्लेशियर में मिल गये. उसके बाद सेना ने एक सर्च अभियान चलाकर तीन सैनिकों के शव को ढूंढ निकाला. अब 16 अगस्त को रेवाड़ी के मीरपुर गांव के हवलदार जगमाल सिंह का शव लाहौल स्पीति के चंद्र भागा क्षेत्र में बर्फ में दबा मिला है.

मानो वक्त का पहिया उल्टा घूम गया: रामचंद्र

ईएमई यूनिट में तैनात हवलदार जगमाल सिंह के बेटे रिटायर्ड नायब सूबेदार रामचंद्र ने कहा कि शुक्र वार को जेसीओ सोमवीर उनके घर पर यह खबर लेकर आये कि उनके पिता का शव पहाड़ों में मिल गया है. उन्हें पहले तो इस बात का यकीन नहीं हुआ. वे तो अब उनकी यादों के सहारे जी रहे थे. उन्हें लगा कि मानो वक्त का पहिया उल्टा घूम रहा है. रामचंद्र ने कहा कि काश उनकी मां भी इस वक्त जिंदा होतीं. उनकी मां भगवान कौर का 2008 में निधन हो गया. पिता का शव मिलने की सूचना दो बड़ी और एक छोटी बेटी को भी कर दी गयी है.

छुट्टी पूरी करके लौट रहे थे जगमाल सिंह

रिटायर्ड नायक सूबेदार रामचंद्र सिंह ने बताया कि फरवरी 1968 में उसके पिता जब छुट्टी पूरी कर ड्यूटी जा रहे थे तब वह मात्र 6-7 साल का था. उस दौरान सेना से सूचना मिली थी कि विमान दुर्घटना में पिता की मौत हो गयी है.

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