नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने औद्योगिक समूहों के लिये संपर्क सूत्र का काम करने वाली नीरा राडिया के टेलीफोन टैपिंग के मामले में सरकार का नजरिया जानने और ‘अति गोपनीय’ दस्तावेजों के अवलोकन के लिये आज दो घंटे तक बंद कमरे में सुनवाई की. इन दस्तावेज के आधार पर ही नीरा राडिया के फोन टैप किये थे.
न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति वी गोपाल गौडा की खंडपीठ ने सुबह साढ़े दस बजे यह कार्यवाही शुरु की जो दोपहर साढ़े बारह बजे तक चली. इस दौरान न्यायालय कक्ष में सिर्फ दो अतिरिक्त सालिसीटर जनरल, केंद्रीय जांच ब्यूरो, आय कर विभाग और गृह मंत्रालय के अधिकारियों को ही उपस्थिति रहने दिया गया. दूसरे पक्षकारों के वकीलों, पत्रकारों और अन्य व्यक्तियों को इस कार्यवाही से अलग रखा गया.
न्यायाधीशों ने बंद कमरे में सुनवाई की कार्यवाही पूरी करने के बाद इस मामले को एक अक्तूबर के लिये सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया. इस खंडपीठ ने 27 अगस्त को नीरा राडिया से संबंधित प्रकरण की कार्यवाही न्यायालय के बंद कमरे में करने का निश्चय किया था.
संवेदनशील मामलों में निचली अदालतों में बंद कमरे में सुनवाई सामान्य बात है लेकिन हाल के वर्षो में यह दूसरा मौका है जब शीर्ष अदालत ने बंद कमरे में सुनवाई की है. इससे पहले, 1996 में बहुचर्चित हवाला कांड में शीर्ष अदालत ने बंद कमरे में सुनवाई की थी.
तमाम रिपोर्ट में अनेक विवादास्पद और संवदेनशील सूचनाएं तथा कई व्यक्तियों के नाम सामने आने के बाद ही न्यायालय ने बंद कमरे में इसकी सुनवाई करने का निश्चय किया था क्योंकि इन तथ्यों को सार्वजनिक करना राष्ट्रहित में नहीं था और इससे कई व्यक्तियों की छवि धूमिल हो सकती थी.
न्यायालय के बंद कमरे में हुयी कार्यवाही के दौरान आज न्यायाधीशों ने सरकार की गोपनीय रिपोर्ट और इस मसले पर केंद्र की दलीलों पर विचार किया. वित्त मंत्री को 16 नवंबर, 2007 में मिली एक शिकायत के आधार पर नीरा राडिया के फोन पर होने वाली बातचीत रिकार्ड करने का आदेश दिया गया था. इस शिकायत में आरोप लगाया गया था कि नौ साल के भीतर नीरा राडिया ने तीन सौ करोड़ रुपये का कारोबार खड़ा कर लिया है.
सरकार ने तीन चरणों में 180 घंटे नीरा राडिया के टेलीफोन की वार्ताएं रिकार्ड की थी. पहली बार 20 अगस्त, 2008 से 60 दिन और फिर 19 अक्तूबर से 60 दिन तक उसकी टेलीफोन वार्ताएं रिकार्ड की गयी. इसके बाद 11 मई, 2009 को आठ मई के आदेश के तहत एक बार फिर 60 दिन के लिये उसका फोन टैप किया गया.
शीर्ष अदालत ने इस बातचीत के विवरण की जांच के लिये जांच अधिकारियों का एक दल नियुक्त किया था. जांच अधिकारियों के विशेष दल द्वारा इस बातचीत के लिप्यांतरण और रिपोर्ट के अवलोकन के बाद कहा था कि इसके कुछ बिन्दु जांच का विषय हो सकते हैं.