नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने 2002 के नरोदा पाटिया दंगा मामले में दोषियों की अपीलों पर गुजरात उच्च न्यायालय में लंबित कार्यवाही पर आज दो महीने के लिये रोक लगा दी जिसने इसी मामले में उम्र कैद की सजा को चुनौती देने वाली पूर्व मंत्री माया कोडनानी की अपील को तेजी से सुनवाई के लिये प्राथमिकता दी थी.
प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा, ‘‘इन अपीलों पर दो महीने के लिये उच्च न्यायालय में कार्यवाही पर अंतरिम रोक रहेगी.’’ न्यायाधीशों ने माया कोडनानी की अपील पर तत्परता से सुनवाई करने और उनके निजी सहायक की अपील अलग रखे जाने पर चिंता व्यक्त करते हुये टिप्पणी की, ‘‘सभी अपीलों पर एक साथ सुनवाई होनी चाहिए. ’’ इन दोनों के खिलाफ साजिश का ही आरोप था.
न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय को यह पता होना चाहिए कि आरोपी :कोडनानी: पर साजिश का आरोप है और इस मामले में दूसरा अभियुक्त उनका ही निजी सहायक है. कहा जा रहा है कि निजी सहायक की अपील अलग रख दी गयी है. निजी सहायक की अपील को अलग कैसे रखा जा सकता है.’’ न्यायालय ने इस तथ्य का भी संज्ञान लिया कि इस मामले में उच्च न्यायालय में 11 अपील हैं. राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि दोनों अपील पर एक साथ ही सुनवाई होनी चाहिए थी.
उन्होंने कहा कि उन्हें समाचार पत्रों की खबरों से ही इस बारे में जानकारी मिली है. संक्षिप्त सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि उच्च न्यायालय ने कोडनानी को उसी चिकित्सा आधार पर नियमित जमानत प्रदान की है जिन्हें शीर्ष अदालत ने जमानत की अवधि बढाने के लिये स्वीकार नहीं किया था.
गुजरात दंगों की जांच करने वाले शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल ने शिकायत की थी कि उच्च न्यायालय सिर्फ कोडनानी की अपील पर तत्परता से सुनवाई कर रहा है जबकि सह मुजरिमों की अपील भी वहां लंबित है.इस मामले में शीर्ष अदालत में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे के माध्यम से विशेष जांच दल ने कहा था कि उच्च न्यायालय सभी अपील पर एकसाथ सुनवाई के लिये उसकी अर्जी पर फैसला नहीं कर रहा है.
जांच दल ने दंगों से संबंधित मामलों में प्रगति के बारे में सीलबंद लिफाफे में दो रिपोर्ट भी न्यायालय में पेश कीं. एक दंगा पीडित भी इस मामले में खंडपीठ के एक न्यायाधीश द्वारा सुनवाई से खुद को अलग करने से इंकार करने के खिलाफ अपील दायर कर रही है. इसका कहना है कि इस न्यायाधीश ने एक अन्य संबंधित मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर दिया था.
इस पीडित ने अपनी अपील में आरोप लगाया है कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अवकाश ग्रहण से पहले ही प्राथमिकता के आधार पर जल्दबाजी में कोडनानी की अपील पर सुनवाई कर रहे हैं.पीडित की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अपर्णा भट ने भी इस मसले पर विशेष जांच दल का समर्थन किया.
विशेष अदालत ने 30 अगस्त, 2012 को माया कोडनानी, बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी और 29 अन्य अभियुक्तों को हत्या और आपराधिक साजिश रचने के जुर्म में उम्र कैद की सजा सुनाई थी.नरोदा पाटिया के 84 दंगा पीडितों ने उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति रवि त्रिपाठी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को बदलने का अनुरोध किया था. न्यायमूर्ति त्रिपाठी सात मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं.