लखनऊ : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनउ पीठ ने अयोध्या चौरासी कोसी परिक्रमा के सिलसिले में गिरफ्तार किये गये विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) नेताओं को रिहा करने के आदेश देने के आग्रह वाली याचिका को आज खारिज कर दिया.न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा और न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय की पीठ ने याचिका को निष्प्रयोज्य एवं महत्वहीन करार देते हुए खारिज कर दिया.
अपर शासकीय अधिवक्ता मधुलिका यादव ने राज्य सरकार की तरफ से जवाब दाखिल कर कहा कि तीनों याचिकाकर्ता रिहा किये जा चुके हैं. सरकार की तरफ से दिये गये इस जवाब के मद्देनजर अदालत ने कहा कि अब तीनों में से कोई भी याची हिरासत में नहीं है, लिहाजा याचिका महत्वहीन हो गयी, इस वजह से इसे खारिज किया जाता है.गौरतलब है कि अदालत ने कल उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि अयोध्या चौरासी कोसी परिक्रमा के सिलसिले में गिरफ्तार किये गये विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) नेता अशोक सिंघल, प्रवीण तोगाड़िया तथा स्वामी रामभद्राचार्य अगर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 151 (2) के उल्लंघन के आरोप में अगर अब भी निरुद्ध हैं तो उन्हें तत्काल रिहा कर दिया जाए.
अदालत ने यह आदेश जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य, सिंघल तथा तोगड़िया की तरफ से स्थानीय वकील रंजना अग्निहोत्री के जरिये दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिया था. अदालत के इस आदेश के बाद सरकार ने सिंघल को लखनउ में जबकि तोगड़िया को एटा में रिहा कर दिया था. रामभद्राचार्य को औपचारिक रुप से हिरासत में नहीं लिये जाने के कारण उनकी रिहाई का कोई अर्थ नहीं रह गया था.