नयी दिल्ली: केंद्र सरकार गंगा नदी को स्थायी रुप से प्रदूषण से बचाने के लिए कानून बनाएगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे प्रदूषण से बचाने के लिए ‘‘बिना समझौते के मिशन रुख अपनाने’’ की वकालत की.कानून लाने का निर्णय यहां एक बैठक में किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री ने की और इसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत और झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने शिरकत की.
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प्रदूषण से गंगा को बचाने के लिए कानून बनाएगी सरकार
नयी दिल्ली: केंद्र सरकार गंगा नदी को स्थायी रुप से प्रदूषण से बचाने के लिए कानून बनाएगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे प्रदूषण से बचाने के लिए ‘‘बिना समझौते के मिशन रुख अपनाने’’ की वकालत की.कानून लाने का निर्णय यहां एक बैठक में किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री ने की और इसमें बिहार के मुख्यमंत्री […]
बहरहाल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की बैठक में शामिल नहीं हुए. गंगा इन दोनों राज्यों से भी बहती है. बैठक के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा कि नदी को ‘‘प्रदूषण मुक्त’’ बनाने के बाद इसकी देखरेख के लिए कानून आवश्यक है.
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य सरकारों एवं केंद्र के संयुक्त प्रयास से गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाया जा सकता है. लेकिन चुनौती इसके बाद इसकी स्वच्छता को बनाए रखने में है. आगामी कानून गंगा की स्वच्छता सुनिश्चित करेगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए हमने संबंधित राज्य सरकारों से प्रस्ताव मांगे हैं क्योंकि जल राज्य का विषय है.’’ राज्यों ने भी प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि प्रस्तावित कानून का मसौदा उन्हें भेजा जाए.
यादव और बनर्जी के उपस्थित नहीं होने के बारे में पूछने पर भारती ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा था कि संबंधित मुख्यमंत्री बैठक में शामिल हो सकते हैं या अपने नोट भेज सकते हैं क्योंकि उनकी तरफ से कोई प्रतिनिधि शिरकत नहीं कर सकता.भारती ने कहा, ‘‘गंगा नदी को प्रदूषण से मुक्त कराने की योजना में सभी एकजुट हैं.’’ प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि बैठक में मोदी ने गंगा की सफाई को ‘‘चुनौतीपूर्ण’’ बताया और नदी को और प्रदूषित होने से बचाने के लिए ‘‘बिना समझौते के मिशन के तौर पर काम करने का रुख’’ अपनाने की वकालत की जिसमें लोगों की भागीदारी की भी जरुरत होगी.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने बयान जारी कर बताया कि मोदी ने कहा कि कार्य ‘‘चुनौतीपूर्ण’’ है लेकिन ‘‘भविष्य की पीढियों के लिए हमारी जिम्मेदारी’’ है कि नदी को बचाया जाए जो लाखों भारतीयों के ‘‘विश्वास’’ एवं ‘‘श्रद्धा’’ से जुडी हुई है.
मोदी ने कहा कि इन सकारात्मक भावनाओं को जिम्मेदारी की भावना में बदलना है और ‘‘बिना समझौते के मिशन की तरह रुख’’ अपनाना है. बैठक में उत्तराखंड, बिहार और झारखंड के मुख्यमंत्रियों ने भी शिरकत की.
उन्होंने कहा कि यह काम ‘‘जन भागीदारी’’ के बिना पूरा नहीं किया जा सकता. उमा ने कहा कि कुमार ने कुछ मुद्दे उठाए जिनसे केंद्र पहले ही वाकिफ है लेकिन उनकी कोई विशिष्ट आपत्ति नहीं थी. उमा ने कहा कि सरकार के पास यमुना नदी के लिए मॉनसून जल संरक्षण की योजना है जिसे गैर मॉनसून समय में जारी किया जा सकता है.बैठक में नीतीश ने कहा कि नदी की सफाई के अलावा इसके निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित करने पर ध्यान देने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि राज्य राष्ट्रीय सिल्ट प्रबंधन नीति को लागू करने का मुद्दा उठाता रहा है और इस पर ध्यान देने की जरुरत है.
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