नयी दिल्ली : आम आदमी पार्टी नेता कुमार विश्वास का गुस्सा आतंकियों पर फूटा है. उन्होंने मसरत आलम की रिहाई पर चल रहे विवाद के बीच कहा कि सुरक्षाबलों को ऐसे भेड़ियों को गिरफ्तार करने के बजाय गोली मार देनी चाहिए. यह देश की उन तमाम मांओं का अपमान है, जिन्होंने अपने बेटे फौज में भेजे हैं. यह देश की उन तमाम विधवाओं के आंसुओं और सिंदूर का अपमान है, जिनके पति कश्मीर घाटी में इन्हीं आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हुए हैं. यह केवल उनका गुस्सा ही नहीं है पूरे देश में इसी तरह का आक्रोश है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि अगर और किसी उग्रवादी या राजनीतिक बंदी को छोड़ा गया तो भाजपा सईद सरकार से अपना समर्थन वापस ले लेगी. देश की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है. मसरत की रिहाई को लेकर कल भी संसद के दोनों सदनों में हंगामा हुआ. सरकार भी इस रिहाई के खिलाफ दिख रही है.
कोर्ट का आदेश मानेंगे : पीडीपी
मसरत आलम की रिहाई से पैदा विवाद से प्रभावित हुए बिना पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने कहा है कि राज्य सरकार राजनीतिक कैदियों की रिहाई पर अदालत के आदेशों का पालन करेगी. पीडीपी के वरिष्ठ नेता एवं खेल मंत्री इमरान रजा अंसारी ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट और अदालतें (भविष्य में राजनीतिक कैदियों की रिहाई पर) हमें जो कहेंगी हम उसका पालन करेंगे.’ यह पूछे जाने पर कि क्या मुफ्ती सरकार ने दिल्ली को लिखित में यह आश्वासन दिया है कि राजनीतिक कैदियों की रिहाई की नीति को ठंडे बस्ते में डाला जायेगा? रजा ने कहा, ‘जो भी कानून कहता है, अदालतें हमें जो भी निर्देश देती हैं, हम उसका पालन कर रहे हैं.’
मुफ्ती सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं
गृहमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने इस विषय पर पहले उनके मंत्रलय को जो वक्तव्य भेजा है, वह उससे संतुष्ट नहीं हैं. मैंने कुछ जानकारी मांगी है. वहां से मिलने के बाद ही मैं टिप्पणी करूंगा. उन्होंने इन खबरों को भी खारिज कर दिया कि जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने उनसे इस विषय पर बात की थी.
अब और राजनीतिक बंदी व उग्रवादी नहीं होंगे रिहा
जम्मू-कश्मीर सरकार ने कहा कि वह अब और राजनीतिक बंदियों या उग्रवादियों को रिहा नहीं करेगी. जब जम्मू कश्मीर के गृह सचिव सुरेश कुमार से पूछा गया कि क्या सरकार और भी उग्रवादियों तथा राजनीतिक बंदियों की रिहाई जारी रखेगी तो उन्होंने कहा, ‘इस तरह की कोई बात नहीं है. कुमार ने कहा, मसरत आलम के खिलाफ लोक सुरक्षा कानून के तहत दोबारा कोई मामला नहीं बनता, इसलिए उसे रिहा किया गया. इसके अलावा और कुछ नहीं है. आलम की रिहाई के फैसले का बचाव करते हुए गृह सचिव ने कहा, किसी को पीएसए के तहत हिरासत में रखने की सीमा होती है. आप उसे ज्यादा से ज्यादा छह महीने तक हिरासत में रख सकते हैं और एक बार और रख सकते हैं. उन्होंने कहा, उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार आप किसी को समान आरोप में बार-बार हिरासत में नहीं रख सकते. अगर आपने ऐसा किया है तो उसके खिलाफ नये आरोप होने चाहिए.