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संसद में पिछले सत्रों से कम हंगामे के आसार

नयी दिल्ली: सोमवार से शुरु हो रहे संसद के मानसून सत्र के पिछले कुछ सत्रों की बनिस्बत सुचारु रुप से चलने के आसार नजर आ रहे हैं. सरकार ने आश्वासन दिया है कि वह विपक्ष को आंदोलित करने वाले विषयों का सम्मान करेगी. मुख्य विपक्षी दल ने भी कहा है कि खाद्य सुरक्षा विधेयक सहित […]

नयी दिल्ली: सोमवार से शुरु हो रहे संसद के मानसून सत्र के पिछले कुछ सत्रों की बनिस्बत सुचारु रुप से चलने के आसार नजर आ रहे हैं. सरकार ने आश्वासन दिया है कि वह विपक्ष को आंदोलित करने वाले विषयों का सम्मान करेगी. मुख्य विपक्षी दल ने भी कहा है कि खाद्य सुरक्षा विधेयक सहित अगर सरकार उसके सुझावों को मानती है तो वह ऐसे विधेयकों को पारित कराने में सहयोग करेगा.

ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले तृणमूल कांग्रेस ने हालांकि आक्रामक तेवर दिखाते हुए कहा है कि सरकार को पहले यह आश्वासन देना होगा कि तेलंगाना के बाद किसी अन्य नए राज्य के गठन पर विचार नहीं होगा. वह यह आश्वासन चाहती है कि कांग्रेस के नेता पश्चिम बंगाल में ‘गोरखालैंड’ की मांग को हवा नहीं दें.सरकार को बाहर से समर्थन दे रही सपा ने भी खाद्य सुरक्षा विधेयक पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा है कि अगर इसमें से ‘‘किसान विरोधी’’ बातों को नहीं निकाला गया तो सत्र सुचारु रुप से चल पाना मुश्किल होगा.

अधिकतर राजनीतिक दलों द्वारा 5 से 30 अगस्त तक चलने वाले सत्र को बहुत ही कम बताए जाने पर सरकार ने आश्वासन दिया है कि अगर आवश्यकता पड़ी तो इसे और बढ़ाया जा सकता है.इस सत्र में विचार के लिए 44 विधेयक रखे जाने हैं, 6 वापस लिए जाने हैं और 14 अन्य पेश किए जाने हैं. लेकिन सत्र में केवल 16 बैठकें होनी हैं. ऐसे में इतने सारे विधायी कार्यों को निपटाना असंभव सा है.

लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि इन सोलह बैठकों में भी प्रभावी बैठकें 12 ही होंगी, क्योंकि इस बीच चार शुक्रवार पड़ेंगे जिनमें दोनों सदनों में गैर सरकारी काम काज होता है.भाजपा ने मांग की है कि सत्र की शुरुआत में ही अलग तेलंगाना राज्य गठन संबंधी प्रस्ताव लाया जाए. पार्टी ने मानसून सत्र में उत्तराखंड में आई आपदा, सीबीआई बनाम आईबी कलह, एफडीआई, रुपए के अवमूल्यन और देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति आदि विषयों पर चर्चा कराने के नोटिस दिए हैं.

संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने आश्वासन दिया है कि अगर जरुर हुआ तो सभी विषयों को समाहित करने के लिए सत्र की अवधि बढ़ाई जा सकती है.प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले दो-तीन सत्रों में काफी समय बर्बाद होने पर अफसोस जताते हुए विपक्षी दलों से अपील की है कि वे अत्यंत महत्वपूर्ण खाद्य सुरक्षा विधेयक सहित विधायी कार्यों में सहयोग करें. बदले में उन्होंने विपक्ष द्वारा उठाये जाने वाले सभी मुद्दों पर चर्चा का वायदा किया है.

द्रमुक और तृणमूल सहित कई दलों ने विधायिका के कामकाज में न्यायपालिका के हस्तक्षेप के मुद्दे पर इस सत्र के दौरान गंभीर चर्चा कराने की मांग की है. इन दलों का कहना है कि न्यायाधीश नियुक्ति विधेयक पर फैसला होना चाहिए और उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के अधिकारों पर चर्चा की आवश्यकता है. कमलनाथ ने इस बात से भी इंकार किया कि मानसून सत्र संसद का अंतिम सत्र होगा और देश निर्धारित समय से पहले चुनावों की ओर बढ रहा है. उन्होंने कहा कि इसके बाद दो और यानी शीतकालीन और बजट सत्र भी होंगे.

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