-इशरत मामला-
अहमदाबाद : गुजरात के चर्चित इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड़ कांड में दो आरोपी पुलिस अधिकारियों ने इस मामले की पहले जांच कर रही एजेंसियों द्वारा गवाहों के दर्ज किये गये सभी बयानों की प्रतियां उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है. इन अधिकारियों के खिलाफ 2004 की इस मुठभेड़ कांड में सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल कर रखा है.
आरोपी पुलिस अधिकारी जी एल सिंघल और तरुण बरोट ने अपने वकील बृजराजसिंह झाला के माध्यम से आज इस संबंध में एक याचिका अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एच एस खुतवाड के समक्ष दायर की. अदालत ने इस पर सुनवाई की तारीख पांच अगस्त निर्धारित की है. सीबीआई ने चार जुलाई को दायर आरोपपत्र में जिन सात आरोपियों के नाम हैं उनमें से छह अरोपी पुलिसकर्मियों को केंद्रीय जांच एजेंसी की ओर से आरोपपत्र के साथ विभिन्न दस्तावेज की प्रतियां मुहैया करायी गयी हैं.
बहरहाल, सिंघल और बरोट ने अपनी याचिका में दावा किया कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 161 के तहत पूर्व में डीसीबी अपराध शाखा, अमदाबाद और उच्च न्यायालय के आदेश के तहत गठित एसआईटी जैसी एजेंसियों के समक्ष दर्ज विभिन्न गवाहों के बयान की प्रति उन्हें मुहैया नहीं करायी गई है.दोनों आरोपियों ने इस संबंध में 21 ऐसे गवाहों का उल्लेख किया जिनका बयान सीबीआई और पूर्व की जांच एजेंसियों ने दर्ज किया था. दोनों आरोपियों ने अदालत से इन बयानों की प्रति मुहैया कराने के लिए सीबीआई को निर्देश देने का आग्रह किया. मुम्बई की लड़की इशरत, जावेद शेख उर्फ परनेश पिल्लै, अमजद अली राणा और जीशान जौहर को 15 जून 2004 को यहां शहर के बाहरी इलाके में मार दिया गया था.
अपराध शाखा ने उस समय दावा किया था कि चारों आतंकवादी थे जो गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को मारने के मिशन पर आए थे. इस मामले की जांच कर रही सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में इसे फर्जी मुठभेड़ करार दिया है. एजेंसी ने इस मामले में गुजरात के सात पुलिस अधिकारियों को आरोपी बनाया और उनके खिलाफ हत्या एवं आपराधिक साजिश का आरोप लगाया है.