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गोधरा दंगों के बाद फौरन कर्फ्यू क्यों नहीं लगाया गया

अहमदाबाद: जकिया जाफरी के वकील ने गुरुवार को अदालत में दलील दी कि गोधरा ट्रेन कांड के बाद हुए दंगे अनुमति से की गई हिंसा थी और यह प्रशासनिक नाकामी का नतीजा नहीं था. उन्होंने पूछा कि गुजरात के अन्य शहरों में फौरन ही कर्फ्यू क्यों नहीं लगाया गया. अधिवक्ता मिहिर देसाई ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट […]

अहमदाबाद: जकिया जाफरी के वकील ने गुरुवार को अदालत में दलील दी कि गोधरा ट्रेन कांड के बाद हुए दंगे अनुमति से की गई हिंसा थी और यह प्रशासनिक नाकामी का नतीजा नहीं था. उन्होंने पूछा कि गुजरात के अन्य शहरों में फौरन ही कर्फ्यू क्यों नहीं लगाया गया.

अधिवक्ता मिहिर देसाई ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट बीजे गनत्र के समक्ष दलील दी कि यह प्रशासनिक चूक या गलती का नतीजा नहीं बल्कि अनुमति से की गई हिंसा का मामला है.अदालत में सुनवाई के बाद ही इसकी संभावना की छानबीन हो सकती है.

उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले जकिया की एक शिकायत की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया था. जकिया ने दंगों की अनुमति देने में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य लोगों की मिलीभगत होने का आरोप लगाया था.

जकिया के पति एवं कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी दंगों के दौरान मारे गए थे. देसाई ने गोधरा कांड का हवाला देते हुए कहा कि कुछ हिंसा इसके बाद होने ही वाली थी. इस कांड में 59 कार सेवक मारे गए थे.

उन्होंने दलील दी, गोधरा में कर्फ्यू 27 फरवरी 2002 (अगले दिन) को सुबह 10 बजे लगाया गया और यदि पुलिस हिंसा को रोकना चाहती तो अन्य शहरों में भी कर्फ्यू लगा दिया गया होता.

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