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वाजपेयी कहें तो लौटा दूंगा भारत रत्न:अमर्त्य सेन

नयी दिल्ली : भाजपा सांसद चंदन मित्र की इस मांग पर खासा विवाद शुरु हो गया है कि नोबल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन से भारत रत्न वापस ले लिया जाना चाहिए वहीं अर्थशास्त्री ने कहा है कि अगर अटल बिहारी वाजपेयी ऐसा करने को कहते हैं तो वह सम्मान लौटा देंगे. भाजपा जहां इस […]

नयी दिल्ली : भाजपा सांसद चंदन मित्र की इस मांग पर खासा विवाद शुरु हो गया है कि नोबल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन से भारत रत्न वापस ले लिया जाना चाहिए वहीं अर्थशास्त्री ने कहा है कि अगर अटल बिहारी वाजपेयी ऐसा करने को कहते हैं तो वह सम्मान लौटा देंगे. भाजपा जहां इस विवाद से अपने को अलग करती दिखी वहीं कांग्रेस ने हमला बोलते हुए कहा कि इससे भाजपा की ‘‘फासीवादी मानसिकता’’ प्रदर्शित होती है.

उधर अमर्त्य सेन नेएक निजी चैनल मेंकहा, ‘‘ श्री चंदन मित्र को शायद नहीं मालूम कि भाजपा नीत सरकार ने मुङो भारत रत्न दिया था और अटल बिहारी वाजपेयी ने मुझेइससे सम्मानित किया था. अगर श्री वाजपेयी चाहते हैं कि मैं इसे लौटा दूं, मैं निश्चित तौर पर इसे लौटा दूंगा.’’ उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसी मांग की गयी है और उन्होंने इसे मित्र का ‘‘निजी’’ विचार करार दिया.

सेन ने कहा कि भाजपा नीत राजग सरकार के कार्यकाल में उनकी लालकृष्ण आडवाणी, यशवंत सिन्हा, जसवंत सिंह और अरुण जेटली जैसे नेताओं से काफी चर्चा होती थी. मित्र ने मांग की थी कि सेन से भारत रत्न वापस ले लिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा था कि वह :सेन: भारत में मतदाता भी नहीं हैं. उन्होंने सवाल किया था कि क्या भारत रत्न से सम्मानित व्यक्ति को किसी पार्टी या नेता के खिलाफ या पक्ष में बोलना चाहिए.

सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने सेन पर हमला बोलने के लिए भाजपा की खिंचाई की. सेन ने कहा था कि वह नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रुप में नहीं चाहते क्योंकि उनकी धर्मनिरपेक्ष विश्वसनीयता नहीं है. सेन ने मोदी के शासन माडल की भी आलोचना करते हुए था कि वह इसका समर्थन नहीं करते. तिवारी ने कहा कि यह अफसोसजनक है कि भाजपा ने सेन से भारत रत्न लौटाने को कहा. ऐसा शायद पहली बार हुआ है. उन्होंने कहा कि इससे भी आगे बढ़ते हुए भाजपा के कुछ प्रवक्ताओं ने उनका नोबल पुरस्कार लौटाने की मांग तक कर दी.

तिवारी ने कहा, ‘‘ यह किस प्रकार की मानसिकता है. यह अगर फासीवाद नहीं है तो क्या है. आप या तो हमारे साथ हैं या हमारे खिलाफ हैं और अगर आप हमारे खिलाफ हैं तो भारत रत्न लौटा दीजिए. अमर्त्य सेन ने क्या गलती की है, क्या भाजपा अभिव्यक्ति की आजादी में भरोसा करती है. यह अभिव्यक्ति, लिखने और बोलने के अधिकार पर बड़ा हमला है.’’

उन्होंने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री रोजाना बयान देते हैं और पार्टी उनके बोलने के अधिकार का बचाव करती है वहीं ‘‘ वे सोचते हैं कि अन्य की आवाज को दबा दिया जाना चाहिए.’’यह पूछे जाने पर कि जैसा मित्र ने मांग की है, सेन से भारत रत्न वापस ले लिया जाना चाहिए, मानव संसाधन विकास मंत्री शशि थरुर ने कहा, ‘‘ सवाल ही नहीं पैदा होता.’’इस विवाद पर गृह मंत्री सुशीलकुमार शिंदे ने कहा, ‘‘ उन लोगों को ऐसा नहीं कहना चाहिए था.’’ उन्होंने कहा कि सेन ने मोदी के बारे में जो कुछ कहा, वह सही होना चाहिए क्योंकि वह जानेमाने अर्थशास्त्री हैं.

कांग्रेस महासचिव शकील अहमद ने ट्विटर पर लिखा है, ‘‘ अमर्त्य सेन मोदी को प्रधानमंत्री के रुप में नहीं चाहते और उन्हें नीतीश से नीचे रखते हैं. उनकी इस ‘‘राय’’ के लिए भाजपा उनसे भारत रत्न वापस लेना चाहती है. क्या यह असहिष्णुता की पराकाष्ठा नहीं है?’’ भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने मित्र की मांग से पैदा विवाद से अपने को अलग करते हुए कहा कि यह उनकी निजी राय है. पार्टी की एक अन्य प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने कहा कि भारत रत्न विवाद दुर्भाग्यपूर्ण है. भाजपा इसका हिस्सा नहीं है. सदस्यों द्वारा व्यक्त की गयी राय को उनकी निजी राय समझना चाहिए.

जदयू नेता के सी त्यागी ने कहा कि भाजपा की मांग जताती है कि वाजपेयी-आडवाणी युग समाप्त हो गया है जो सहिष्णुता, लचीलापन और विरोधी विचारों को भी स्वीकार करने पर आधारित था. त्यागी ने एक बयान में कहा कि यह बौद्धिक असहमति दबाने का प्रयास है.

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