नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फैसला किया कि सीबीआइ के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा द्वारा कोल ब्लॉक आवंटन मामले की जांच को प्रभावित करने और मामले में हस्तक्षेप के आरोपों की जांच की जायेगी.
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 16 फरवरी के लिए स्थगित करते हुए कहा कि हमें इस पर गौर करना ही होगा. ‘‘या तो हमें सीबीआइ या फिर गैरसरकारी संगठन के वकील की बात से सहमत होना पड़ेगा.’’ उसी दिन गैर सरकारी संगठन और उसके वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ शपथ लेकर गलत बयान देने का आरोप लगाने वाली सिन्हा की अर्जी पर भी सुनवाई की जायेगी.
रंजीत सिन्हा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने दलील दी कि न्यायिक रिकार्ड से ही पता चलता है कि उनके खिलाफ झूठे और दुर्भावनापूर्ण आरोप लगाये गये हैं. सिर्फ इसलिए ऐसा नहीं हो सकता कि वह प्रशांत भूषण हैं किसी भी प्रकार के झूठ से बच निकलेंगे.
इस पर भूषण का कहना था कि तत्कालीन सीबीआइ निदेशक के आगंतुक रजिस्टर की प्रविष्ठियों से स्पष्ट है कि वह पहुंच वाले आरोपियों और कोयला आवंटन मामले से जुड़े व्यक्तियों से मिलते रहे हैं. ऐसी स्थिति में न्यायालय की निगरानी वाले विशेष जांच दल से इस तथ्य की जांच कराने की आवश्यकता है कि क्या इसके बदले में कोई सौदा हुआ.
सीबीआइ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र शरण ने कहा कि भूषण के नोट में दिये गये विवरण में अनेक तथ्य सही नहीं हैं.