नयी दिल्ली : भाजपा के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन राजग के सांसदों ने आज राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर लददाख में चीन की घुसपैठ पर चिन्ता का इजहार किया. उन्होंने सरबजीत मामले में भी सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाये. राजग के कार्यवाहक अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी की अगुवाई में राष्ट्रपति भवन गये प्रतिनिधिमंडल ने मुखर्जी को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें दोनों ही मामलों में उनके हस्तक्षेप का आग्रह किया गया था. उन्होंने मांग की कि मुखर्जी इन मुद्दों पर संप्रग सरकार से बात कर उससे उचित कार्रवाई को कहें.
आडवाणी ने संवाददाताओं को बताया कि पाकिस्तान में सरबजीत को पहले मौत की सजा दी गयी थी जिसे बाद में आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया गया. खबर है कि उसने अपनी सजा पूरी कर ली थी. हमें ऐसा आभास दिया गया था कि उसे रिहा किया जाना है लेकिन बदले की भावना से उसे पाकिस्तान में ही रोके रखा गया.
राजग का आरोप है कि लाहौर की जेल में सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत के बिना सरबजीत की हत्या हो ही नहीं सकती थी. कम से कम कुछ अधिकारी तो इसमें अवश्य ही शामिल रहे होंगे. आडवाणी ने कहा कि जो बात सबसे अधिक तकलीफ देती है, वह भारत सरकार, विदेश मंत्रलय और संबद्ध अधिकारियों द्वारा इस मामले पर लगातार नजर नहीं रखना और कोई कार्रवाई नहीं करना है. उन्होंने इस संबंध में सरकार से स्पष्टीकरण और माफी की मांग की.
लद्दाख में चीन की घुसपैठ पर राजग ने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि यह 1962 के हालात पैदा कर सकता है जब ऐसी ही घुसपैठ हुई थी जो बाद में पूर्ण युद्ध में तब्दील हो गयी थी. आडवाणी ने कहा कि प्रधानमंत्री और सरकार ने लगातार ऐलान किया कि यह स्थानीय घटना है. क्या हम कह सकते हैं कि यह सरकार की अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाडने के समान है?