नयी दिल्लीःउत्तराखंड में आई तबाही को महीना भर बीत चुका है, लेकिन हजारों लापता लोगों का कोई सुराग नहीं है. अपनों की तलाश में उनके परिजन अभी भी परेशान हैं. हादसे के बाद भी कुछ ऐसे शख्स मिले जो सैलाब में फंसने के बाद भी जिंदा बच गए. कानपुर के एक ऐसे ही शख्स जो सैलाब में फंसने के बाद भी बच गए थे,लेकिन अपनी पत्नी और बेटी की तलाश के लिए उन्होंने लंबा संघर्ष किया. त्रासदी के एक महीने बाद भी उनके लापता परिजनों का कोई पता नहीं चला है. वहीं उत्तराखंड सरकार ने घोषणा कर रखी है कि जो लोग 15 जुलाई तक नहीं मिलेंगे उनको मृत माना जाएगा और मुआवजा दिया जाएगा. करीब 5748 लोग उत्तराखंड त्रासदी के बाद आज भी लापता हैं. जिनके परिजन उनको तलाश रहे हैं.
गुप्तकाशी में अपनों की तलाश में सरकार से नाउम्मीदग हो गए लोग अपनों की तलाश के लिए पोस्टरों का सहारा ले रहे थे. ऐसे ही अपनों को तलाशने की कोशिश कर रहे तमाम लोगों में कानपुर के प्रोफेसर सौरभ भट्ट भी थे.
सौरभ बताते हैं कि 17 जून को केदारनाथ में जलप्रलय के हालात थे. सौरभ ने पत्नी, बेटे और बेटी के साथ मंदिर के बगल के ट्रस्ट ऑफिस में शरण ले रखी थी. सौरभ के मुताबिक अचानक बहुत सारा पानी दरवाजा तोड़ते हुए घुसा और सब बिछड़ गए. कुछ देर बाद सौरभ ने खुद को पत्थरों और मलबे के ढेर के नीचे पाया. पत्नी, बेटी और बेटे का कुछ पता नहीं था. 6-7 घंटे पत्थरों और मलबे में दबे रहने के बाद लोगों ने सौरभ को बाहर निकाला. बुरी तरह से जख्मी सौरभ को अचानक 18 तारीख को बेटा मिल गया.
सौरभ बताते हैं कि बेटा बुरी तरह से घायल, फटे हाल में था. मैं बहुत रोया, मैंने सोचा ये मिला है तो बेटी और पत्नी भी मिल जाएंगे जख्मी सौरभ ने हिम्मत जुटाई और पत्नी और बेटी को ढूंढने में लग गए. केदारनाथ की त्रासदी में मौत को मात देकर लौटे सौरभ भट्ट पत्नी और बेटी की तलाश में गुप्तकाशी की गलियों की खाक छानते रहे. यहां तक कि उन्होंने पत्नी और बच्ची का पता बताने वाले को 2 लाख का इनाम देने का ऐलान भी किया है.
सौरभ के मुताबिक पत्नी और बेटी के बिना हम वैसे भी नहीं बच पाएंगे. पापा, भाइयों का रो रो कर बुरा हाल है. भगवान से उम्मीद है कि वो फिर से मिलवा दे. वहीं सौरभ की तमाम कोशिशें के बावजूद हादसे के करीब एक महीने बाद भी उनकी पत्नी और बेटी का पता नहीं चल पाया है. उनके लिए स्थिति असहनीय है.