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देश के महान पुरुषों पर न हो दलगत राजनीति : आडवाणी

नयी दिल्ली : जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्य तिथि के अवसर पर संसद में उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करने के समारोह में कांग्रेस के सांसदों के नहीं आने पर निराशा जताते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता ने आज कहा कि देश के महान पुरुषों को लेकर राजनीतिकों को दलगत लाइन पर भेदभाव नहीं […]

नयी दिल्ली : जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्य तिथि के अवसर पर संसद में उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करने के समारोह में कांग्रेस के सांसदों के नहीं आने पर निराशा जताते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता ने आज कहा कि देश के महान पुरुषों को लेकर राजनीतिकों को दलगत लाइन पर भेदभाव नहीं बरतना चाहिए.

संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्य तिथि के अवसर पर आज सुबह पुष्पांजलि समारोह आयोजित था लेकिन उसमें कांग्रेस के सांसद, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी नहीं दिखे.

आडवाणी ने बाद में भाजपा मुख्यालय में पार्टी के संस्थापक के सम्मान में आयोजित समारोह में उक्त बात पर खेद प्रकट किया. उन्होंने कहा, राष्ट्र के महान पुरुषों को लेकर पार्टी लाइन पर भेदभाव नहीं बरतना चाहिए . केंद्रीय कक्ष में, जब हम मुखर्जी को पुष्पांजलि देने के लिए एकत्र हुए, मैंने कांग्रेस से किसी को नहीं देखा. मैंने पाया कि वे नहीं आये हैं.

केंद्रीय कक्ष में श्यामा प्रसाद को पुष्पांजलि देने पहुंचने वालों में आडवाणी के अलावा दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज और अरुण जेटली शामिल थे. लोकसभा के उपाध्यक्ष कडि़या मुंडा, जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी और भाजपा नेता एस एस अहलुवालिया भी समारोह में देखे गए. लोकसभा अध्यक्ष आम तौर पर ऐसे समारोहों में उपस्थित होती हैं.

आडवाणी ने कहा, मैं नहीं जानता कि क्या यह कांग्रेस का रवैया है. अगर यह गलती है तो कांग्रेस को उसे सुधारना चाहिए. लेकिन अगर ऐसा जानबूझ कर हुआ है तो यह दुखद है.

राजग के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि जब स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकार का चित्र संसद भवन में लगाया गया तो कांग्रेस के नेताओं ने खुलकर उसका विरोध किया और उस समारोह का बहिष्कार किया, जबकि उसमें भारत के राष्ट्रपति उपस्थित हुए थे.

उन्होंने कहा कि देश पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने महात्मा गांधी के कहने पर श्याम प्रसाद मुखर्जी और भीम राव अंबेडकर को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था, जबकि ये दोनों नेता पूर्व में कांग्रेस की नीतियों के आलोचक थे और कांग्रेस से संबंधित नहीं थे.

आडवाणी के अनुसार महात्मा गांधी को लगता था कि मुखर्जी और अंबेडकर स्वतंत्रता के समय देश के सामने व्याप्त चुनौतियों से निपटने में बड़े पैमाने पर योगदान कर सकते हैं.

मुखर्जी ने बाद में कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया और मांग की कि जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किया जाना चाहिए. उन्होंने जम्मू कश्मीर में प्रवेश के लिए परमिट व्यवस्था का विरोध किया और उसके बिना राज्य में प्रवेश करने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. जेल में उनका निधन हो गया.

संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र का 31 मई 1991 को तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरामन ने अनवारण किया था.

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