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एड्स पीडि़त व्यक्ति की कोशिकाओं के भीतर का पता लगाएगा ये बायोसेंसर
नयी दिल्ली : एक नया बायोसेंसर का इजाद किया गया है जो रियल टाइम में एचआईवी संक्रमित कोशिकाओं के भीतर हो रहे परिवर्तन का पता लगा सकता है. साथ ही यह कोशिकाओं के भीतर एड्स वाइरस और तपेदिक के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया के बीच चलने वाली पारस्परिक क्रिया का भी मुआयना कर सकता है. आइआइएससी […]
नयी दिल्ली : एक नया बायोसेंसर का इजाद किया गया है जो रियल टाइम में एचआईवी संक्रमित कोशिकाओं के भीतर हो रहे परिवर्तन का पता लगा सकता है. साथ ही यह कोशिकाओं के भीतर एड्स वाइरस और तपेदिक के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया के बीच चलने वाली पारस्परिक क्रिया का भी मुआयना कर सकता है.
आइआइएससी बेंगलूर, आइसीजीइबी नयी दिल्ली और जामिया मिल्लिया इस्लामिया नयी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने इस नॉन इनवैसिव बायोसेंसर की खोज की है जो रियल टाइम में एचआईवी-1 से संक्रमित कोशिकाओं के अंदर क्या चल रहा है इसका आकलन कर सकता है.
कोशिकाओं के अंदर पता चलने वाले इस वाइरस का पता चलने के बाद से (एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंसी सिंड्रोम) एड्स से 2012 तक पूरी दुनिया में 3.6 करोड़ लोगों की मौत हो चुकी है. इसके लिए जिम्मेदार (ह्यूमन इम्युनो डेफिसिएंसी वाइरस) एचआईवी शोध का मुख्य विषय रहा है. मानव शरीर नियमित कोशिकीय उपापचय के दौरान ऑक्सीजन मुक्त रैडिकल्स का उत्पादन करती है. जिसे रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज या आरओएस कहा जाता है.
उचित तरीके से नियमन नहीं किए जाने पर इन आरओएस के संचयन की वजह से ऑक्सीडेटिव दबाव हो सकता है. ऑक्सीडेटिव दबाव का बढना संक्रमित कोशिकाओं में एचआईवी-1 के फिर से सक्रिय होने की प्राथमिक वजह है.
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